उदयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।
उदयपुर में लोगों के लिए आफत बन चुके आदमखोर तेंदुए को राजस्थान वन विभाग ने 1 अक्टूबर की दोपहर देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए थे। इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर विशेष सुनवाई आज हुई। इसके बाद न्यायालय ने अपना निर्णय सुना दिया। आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता ने जस्टिस भूषण आर गवई, जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस प्रशांत मिश्र की बेंच के सामने दलील दी कि आखिर आदमखोर तेंदुए की पहचान कैसे होगी? इस आदेश से बाघों को भी खतरा हो जाएगा। लोग बंदूकें लेकर जंगल में घूम रहे हैं, जबकि कायदे से उनको ट्रैंक्विलाइजर गन रखनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि न्यायालय अपने आदेश से सुनिश्चित करे कि तेंदुओं को मारा ना जाए।
अब तक कई लोगों की जान ले चुका है
राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने राज्य एवं वन विभाग की ओर से न्यायाल में में कहा, ‘यह आदेश राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार था. तेंदुआ पहले ही लोगों की जान ले चुका है। उसने पहले इंसानों के हाथ काटे हैं और फिर गर्दन पर हमला करके उनकी जान ले ली है। जनता खौफ में है, इसलिए शूट एट साइट का निर्णय जरूरी था।
पहले करेंगे पकड़ने की कोशिश
एएजी ने कोर्ट में बताया, ‘उदयपुर के जिस गांव में तेंदुआ घूम रहा है, उसकी पहचान कर ली गई है। विभागीय आदेश में भी लिखा है, राज्य की ओर से कोर्ट को आश्वासन देता हूं कि पहले तेंदुए को पकड़ने की कोशिश की जाएगी।सिर्फ अंतिम उपाय के तौर पर ही उसे शूट किया जाएगा।
हाई कोर्ट जाने की मिली छूट
एएजी के इस बयान को सुनने और पूरी स्थिति पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल-32 के तहत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता अजय दुबे को छूट दी कि यदि वह चाहें तो राजस्थान हाई कोर्ट जा सकते हैं।