उदयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।
उदयपुर में लोगों का जीना हराम कर चुका आदमखोर तेंदुआ अब पिंजरे की सखालों के पीछे है। ग्रामीण अब खुली हवा में सांस ले रहे हैं। कड़ी मशक्कत के बाद यह तेंदुआ वन विभाग की गिरफ्त में आया है। इसके लिए विभाग ने अलग तरह का जाल बिछाया था, एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया था कि तेंदुओं खुद ही पिंजरे में आ गया। वो वहीं पर कैद हुआ है जहां उसने वृद्ध महिला पर हमला किया था। बीते कई दिनों से प्रयास किए जा रहे थे,लेकिन तेंदुआ दिखा तक नहीं था। आर्मी की टीम भी पूरी मशक्कत के साथ उसकी छानबीन में जुटी थी, लेकिन तेंदुआ कहीं नजर नहीं आया। अब वो खुद ही कैद हो गया, इसके लिए वन विभाग ने एक देसी मगर वैज्ञानिक तकनीक अपनाई।
पूरी ताकत के साथ जुटा अमला
तेंदुआ के एक के बाद एक हमले करने के बाद शनिवार से वन विभाग की टीम पूरी तरह से सक्रिय हो गई थी, तेंदुए को ढूंढने उदयपुर की आर्मी एकलिंगगढ़ छावनी से आर्मी की टीम भी बुलाई गई, आर्मी ने अपने ड्रोन से कई बार जगल में तेंदुआ के तलाश की लेकिन नहीं मिला, पिंजरे लगाए लेकिन कैद नहीं हुआ, ट्रैप कैमरे लगाए लेकिन कैप्चर नहीं हुआ। लगातार प्रयास करने के बाद तेंदुआ की मूवमेंट तो सामने आ रही थी, लेकिन तेंदुआ विभाग को नहीं दिख पा रहा था। इसके बाद विभाग ने एक ट्रिक अपनाई और मंगलवार को तेंदुआ खुद पिंजरे में कैद हो गया।
वन विभाग के CCF सुनील छिद्री के अनुसार दो में से एक तेंदुआ वही है जो इंसानों पर हमला कर रहा था, क्योंकि एक तेंदुआ काफी बूढ़ा है, जिसके शिकार करने वाले दांत टूट गए हैं।
यूं पकड़ में आया
वन विभाग के टीम ने कल जितने भी पिंजरे लगाए थे, वहां पर मछली के पानी का छिड़काव किया, यानी मछलियों को धोने के बाद जो पानी होता है उसे लाया गया और पिंजरों के आसपास उस पानी का छिड़काव किया गया।अधिकारियों के अनुसार मछली के पानी की दुर्गंध काफी दूर तक जाती है और तेंदुआ को मछलियां पसंद हैं, जिससे वह खींचा चला आता है। हुआ भी यही, आसपास टेरिटरी में घूमने वाले दो तेंदुए मछली के पानी की दुर्गंध के चलते पिंजरे में बंधी बकरी का शिकार करने के लालच में पिंजरे में कैद हो गए।