जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर पूजन के अलावा मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है। मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन यमराज की पूजा करने से भगवान यम आपके परिवार को सुरक्षा प्रदान करते है और परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु से बचाते है।
धनतेरस की शाम को यम के नाम से दीपदान की भी परंपरा है, इसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है। इस दिन शाम के समय दक्षिण दिशा में एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है, घर की महिला दीपक को प्रवेश द्वार के बाहर जलाकर यमराज से कुशलता की प्रार्थना करती है। यमराज के लिए चार मुंह वाला दीपक साल में एक बार जलाया जाता है। मान्यता है कि साल में एक बार यमराज के नाम का दीपक जलाने से घर में उनकी कृपा होती है।
इस दिन यम देवता के लिए दीपदान करने का खास महत्व होता है। धनतेरस पर शुभता और सौभाग्य को पाने के लिए दीपदान करने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है। इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। चौमुखी दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए, इस दिशा के स्वामी यम हैं।
यम दीपम जलाने का सही तरीका
धनतेरस पर यम दीपम जलाने के लिए आटे का या मिट्टी का बड़ा चौमुखी दीपक बनाएं, अब इसमें सरसों का तेल डालें। इसके बाद इस दीपक में चार बाती लगाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं। दीपक में गुड़, गेहू अथवा खील डालकर कुमकुम से उसकी पूजा करे और दीपक को घर के बाहर ही प्रज्ज्वलित करे। यम दीपक को जलाने के बाद मुख्य द्वार से कभी भी घर के अंदर न लाए। क्योंकि यह दीपक यम का प्रतीक होता है।