Saturday, September 21

बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज।

पितरों की पूजा-अर्चना, उनको तर्पण करने का पर्व श्राद्ध पक्ष आज से शुरू हो गए हैं। अब एक पखवाड़े तक रोजाना पितरों को तर्पण दिया जाएगा। इसके लिए शहर के तालाबों पर आस्थावान लोग रोजाना पानी खड़े होकर रोजाना पितरों के नाम तर्पण करेंगे। वहीं घरों में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करेंगे। शहर में धरणीधर तालाब, हर्षोल्लाव, सागर के साथ ही कोलायत तालाब पर भी आज से तर्पण के अनुष्ठान शुरू हो गए हैं। जहां पर एक पखवाड़े तक तर्पण का अनुष्ठान चलेगा। अंतिम दिन पितरों के निमित हवन होगा। इसमें सभी आस्थावान लोग आहुतियां देंगे। जानकारी के अनुसार श्राद्ध पक्ष की पूर्णाहुति दो अक्टूबर को सर्व पितर अमावस्या के दिन हवन के साथ ही होगा।

बीकानेर के धरणीधर तालाब में आज से पितृ तृप्ति के लिए शुरू हुआ तर्पण अनुष्ठान

तीन पारियों चल रहा तर्पण
धरणीधर तालाब पर पंडि़त गोपाल ओझा के सान्निध्य में तीन पारियों में तर्पण कराया जा रहा है। इसमें पहला चरण सुबह 5 से 6, दूसरा 6 से 7 और तीसरा चरण 7 से 8 बजे तक चलता है। इसी तरह पंडि़त नवरतन व्यास के सान्निध्य में भी तालाब के दूसरे छोर पर तर्पण कर्म कराया जा रहा है। इसमें भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भागीदारी है। श्रीरामसर रोड स्थित राधा गार्डन में कन्नू मंडल की ओर से तर्पण कर्म किया जा रहा है। इसके अलावा आस्थावान लोग अपने घरों, मंदिरों और तालबों पर तर्पण कर्म श्राद्ध पक्ष में करते है।

ऋषिकेश में गंगा तट पर चल रहा है
बीकानेर के कर्मकांडी वयोवृद्ध पंड़ित नथमल पुरोहित के सान्निध्य में उत्तराखंड के ऋषिकेश में गंगा के तट पर आज से तर्पण अनुष्ठान शुरू किया गया है। इसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु बीकानेर से ऋषिकेश गए है। जहां पर अब नियमित रूप् से सुबह के समय तर्पण अनुष्ठान कराया जाएगा। अंतिम दिन पूर्णाहुति होगी, इसमें हवन में आहुतियां दी जाएगी।

यह है खास महत्व
कहते है श्राद्ध पक्ष में पितरों को तर्पण अर्पित करने का खास महत्व है। आस्थावान लोग अपने पूर्वजों (पितरों) की तृप्ति के लिए तालाबों पर जाकर तर्पण अनुष्ठान करते है। पंडि़त राजेन्द्र किराड़ू के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए अपने पूर्वजों को याद करके पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है। सर्व सुलभ जल,तिल, यत्र, कुश, अक्षत, पुष्प आदि से उनका श्राद्ध सम्पन्न किया जाता हैं।

 शास्त्रीय मर्यादा के अनुसार श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा से जो कुछ किया जाता है। भाद्रपक्ष की पूर्णिमा से अश्विनी कृष्ण अमावस्या तक के पक्ष में पितरों के प्रति उनकी संतुष्टि के उद्देश्य के लिए गरुड़ पुराण के अनुसार श्रद्धापूर्वक श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान, पितृयज्ञ, ब्राह्मण भोजन आदि श्रेष्ठ कार्य किए जाते है। इससे पितर प्रसन्न होकर मनुष्यों को आयु, यश, पुत्र, कीर्ति, पुष्टि वैभव, धन-धान्य प्रदान करते है।

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