बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज़
कहते हैं जब- जब धरती पर पाप,अन्याय,अत्याचार की पराकाष्ठा हुई तब-तब संसार को कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए परम शक्ति को मानव रूप में धरती पर अवतरण होना पड़ा है। ऐसे ही अवतार हैं देशनोक में जगत जननी मां करणी का।
बीकानेर शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित करणी माता के मंदिर की मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु के सभी कष्टों को मां दूर कर देती है।
इस मंदिर में हजारों की संख्या में चूहे मौजूद हैं। इसलिए इसे चूहों वाला मंदिर के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध प्राप्त है। देश ही नहीं विदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
माता करणी मां दुर्गा का साक्षात अवतार माना गया हैं। इतिहास पर गौर करें तो 1387 ईसवी में माता करणी का जन्म रिघुबाई के नाम से हुआ था। विवाह के बाद उनका सांसारिक मोह माया से लगाव टूट गया और वे एक तपस्वी का जीवन जीने लगीं थीं। मां करणी ने मानव कल्याण और गौरक्षा के लिए काम किया। करणी माता की धार्मिक और चमत्कारी शक्तियों की ख्याती काफी फैल रही थी। इस कारण दूर-दूर से कई लोग माता के दर्शन के लिए आने लगे। मंदिर परिसर में चूहों की मौजूदगी के बारे में मान्यता यह है कि देपावत जाति के लोग मरने के बाद यमलोक नहीं जाते बल्कि वे चूहों के रूप में करणी माता के मंदिर में ही रहते हैं।
करणी माता मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह द्वारा करवाया गया था। मंदिर की पूरी संरचना संगमरमर से बनी है और पत्थरों पर शानदार नक्काशी की गई है। मंदिर के अंदर गर्भगृह के भीतर विराजमान है, एक हाथ में त्रिशूल धारण किए मां करणी की प्रतिमा। मंदिर में कई सारे चूहों को विभिन्न तरह के पकवानों का भोग लगावाया जाता है। चूहों के लिए श्रद्धालु दूध, मिठाई और अन्य मिष्ठान का प्रसाद भी साथ लाते हैं। सभी चूहों में से,सफेद चूहों को खासतौर से पवित्र माना जाता है क्योंकि उन्हें करणी माता का अवतार माना जाता है।
मंदिर में आने वाले भक्तो का मानना है की करणी माता के दर्शन के बाद मन को शांति और सुकून मिलता है। करणी माता मंदिर में नवरात्रि में लगने वाला मेला बड़ा मशहूर है। इन मेलों के दौरान हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है।
यूं तो मां का हर स्वरूप भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करता है लेकिन करणी मां के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर दूर से पैदल आकर देवी से अपनी अरदास लगाते हैं।