Saturday, November 23

बीकानेर। Rajasthan Pulse News

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। जगन्नाथपुरी में देशभर से लाखों की तादाद में श्रद्धालु पुरी पहुंचेंगे। जहां पर भव्य रथ यात्रा निकलेगी। राजस्थान में कई स्थानों पर रथयात्रा निकाली जाती है। वहीं बीकानेर में पुरानी जेल रोड स्थित प्राचीन मंदिर में तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है। तीनों रथों का रंग-रोगन कर सजावट की जा रही है। मंदिर पुजारी जगन्नाथ पांडे और रवि पांडे ने बताया कि शनिवार को भगवान जगन्नाथ का विशेष शृंगार किया गया। नए वस्त्र पहनाए गए। भगवान को चावल, दाल, खीर, हलवा का भोग लगाया गया। रविवार को रथ यात्रा से पहले शाम साढ़े पांच बजे महाआरती होगी, फिर यात्रा निकाली जाएगी। रथ यात्रा समिति के अध्यक्ष घनश्याम लखानी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की सवारी सजे संवरे रथों में बैठकर शाम को प्राचीन मंदिर निकलेगी। पूजा अर्चना के बाद रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर कोटगेट, केईएम रोड होते हुए शिरोमणी रतन बिहारी मंदिर पहुंचेगी। इस यात्रा में साधु-संतों के साथ ही नगर के गणमान्य लोग भी शामिल होंगे। वहीं रास्ते में कई स्थानों पर रथ यात्रा का पुष्पवर्षा से स्वागत किया जाएगा। शिरोमणी रतन बिहारी मंदिर में भगवान जगन्नाथ नौ दिनों तक विश्राम करेंगे। वहां पर रोजाना पूजा-अर्चना होगी, भोग लगाया जाएगा। नौ दिन बाद भगवान जगन्नाथ अपने निर्धारित स्थान (मंदिर) पहुंचेगी।

रियासकालीन है मंदिर
रथयात्रा समिति के अध्यक्ष घनश्याम लखानी के अनुसार मंदिर का निर्माण रियासकाल में हुआ था। उस दौर में राजा रतनसिंह ने इस मंदिर के लिए भूमि प्रदान की थी। ऐसी मान्यता है कि उस समय कुछ पंडे (पंडित पुजारी) भगवान जगन्नाथ परिवार की प्रतिमाएं लेकर बीकानेर आए और वो सूरसागर तालाब पर बैठ गए। फिर उस समय के तात्कालीन राजा रतन सिंह के समक्ष बीकानेर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्थापित करने की मंशा जताई। बताया जाता है कि उस समय राजा रतनसिंह ने उन पंडों को कहा था कि यदि बीकानेर में बारिश होती है और यह सूरसागर भर जाता है, तो यहां पर यह मंदिर स्थापित करवा देंगे। कहते है उसी रात बीकानेर में झूमकर बारिश हुई, जो राजा को अवगत कराया कि सूरसागर भर गया है, तब राजा ने पंडितो को बुलाकर उन्हें जगन्नाथ भगवान का मंदिर स्थापित करने के लिए यह स्थान दिया था। जहां पर आज प्राचीन मंदिर है। बीकानेर में धुणीनाथ अस्पताल के सामने यह मंदिर है। भामाशाहों ने समय समय पर मंदिर का जीर्णोद्वार भी कराया गया है।

नए रथों का निर्माण
समिति के लखानी के अनुसार मंदिर परिसर में खड़े सुन्दर रथों का जीर्णोद्वार उद्योगपित शिवरतन अग्रवाल (फन्ना बाबू ) ने कराया था। वे रथ यात्रा समिति के संरक्षक भी है। रथों को यात्रा से पहले तैयार किया जाता है। सभी का रंग रोगन होता है। रथ यात्रा के दिन ही यह बाहर निकलेंगे।

राजस्थान में यहां भी निकलती है यात्रा
प्रदेश में कई स्थानों पर जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जाएगी। इसमें बीकानेर के साथ उदयपुर शहर में सात जुलाई को रथयात्रा निकाली जाएगी। उदयपुर के जगदीश मंदिर रथ यात्रा समिति के सदस्यों के अनुसार चांदी के रथ को यात्रा से पहले तैयार कर लिया गया है। यात्रा समिति के सदस्यों के अनुसार भगवान के रथ में 80 किलो चांदी चढ़ाई गई है। इसका वजन 30 टन बताया जा रहा है। भक्त इसको रस्सी से खींचकर नगर का भ्रमण कराएंगे।

अलवर में इस दिन मनाई जाएगी
राजस्थान के अलवर जिले में रथयात्रा अनुठे अंदाज में मनाई जाती है। यहां पूरे उत्साह और उल्हास के साथ यात्रा मनाई जाती है। लोगों को सालभर तक यात्रा का इंतजार रहता है। इस बार अलवर के जगन्नाथ मंदिर से 15 जुलाई को पूरे लवाजमे के साथ रथयात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा शाम साढ़े बजे रवाना होकर अलग-अलग मार्गों से होते हुए रूपवास मंदिर पहुंचेगी। जहां पर 16 से 19 जुलाई तक मेला भरेगा। मंदिर समिति के अनुसार चार जुलाई को गणेश पूजन किया गया। अब सात जुलाई को दोज पूजन होगा और 11 जुलाई से 72 घंटे अखंड कीर्तन होगा। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहेंगे। फिर 14 जुलाई को भगवान श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।

यह है यात्रा का महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा का हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से होता है। यह रथ यात्रा दशमी को पूर्ण होगी। भगवान श्रीकृष्ण के अवतार माने जाने वाले भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और अपनी बहन सुभद्रा के साथ हर साल उड़ीसा के पुरी शहर में रथ की सवारी करने निकलते हैं और इस यात्रा को दुनिया भर में रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। पुरी में हर साल रथों का निर्माण होता है। जहां पर सैकड़ों साल पुराना मंदिर है।

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