Sunday, September 22

देवेंद्र शर्मा, राजसमंद, राजस्थान पल्स न्यूज़

घटते वन क्षेत्रों और पेड़ों की कमी को दूर करने के लिए सरकारे अपने स्तर पर कई तरह के प्रयास और उपाय कर रही है। लेकिन पिछले 6 वर्षो से जंगलों को घना बनाने और जरूरतमंद पेड़ों की संख्या बढ़ाने के लिए केन्या देश की तर्ज पर राजसमन्द जिले के देवगढ़ उपखंड में महिला मंडल के नेतृत्व में जल, जमीन, जंगल  और लुप्त होती पक्षियों की प्रजातियों के लिए  महिलाये प्रेरणादायक पहल कर रही है।

हर वर्ष की भाँती इस वर्ष भी प्रशासनिक उपखंड अधिकारी देवगढ़ संजीव खेदर और उपखंड अधिकारी करेडा बंशीधर योगी और एक निजी संस्थान राजसमन्द की अध्यक्ष भावना पालीवाल के साथ दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रो में पैदल पैदल कच्चे पगडंडी मार्ग घने जंगल से  गुजरते हुए 800 से अधिक सीढीया चढ़ कर 2500 फीट अरावली की दूसरी सबसे ऊँची शिखर के सेंडमाता मंदिर पर पहुँच कर जंगल और पहाडियों की चारो दिशाओ में ऊँचे इलाकों पर जहा पहुंच नहीं थी वहा  गुलेल के माध्यम से दस हजार से अधिक बीजो की गेंद को छोड़ा और कई जगह पर खड़ा खोद कर सीड्स बॉल को अन्दर दबा दिया।

इनका रहा सहयोग
इस वर्ष सीड्स बॉल बनाने और उनके छिडकाव के लिए राजसमन्द जिला पर्यावरण प्रभारी मीनल पालीवाल,  देवगढ़ से अवंतिका शर्मा,  आमेट प्रभारी भावना सुखवाल, भीम प्रभारी विजय लक्ष्मी धाभाई, रेलमगरा प्रभारी हेमलता पालीवाल,  किरण गोस्वामी, अरीना, हंशिका जांगिड, हिमांशी कंसारा, हर्षिता सेन, उर्मिला रत्नावत, ज्योति चुंडावत, संजू चुंडावत, डाली गुर्जर,  शिवानी कँवर, प्रिया गहलोत, विष्णु कँवर कृष्णा, किरण, बबिता रावत, दर्शना पालीवाल  सहित कई महिलाओ और युवतियों ने सहयोग किया ।  

अवंतिका शर्मा ने बताया की ये महिलाये बरसात आने से पहले हजारों सीड बॉल तैयार करती है ताकि ये बीज बरसात में पौधों का आकार लेकर बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का स्त्रोत बने। पिछले एक माह में 50 हजार से अधिक सीड्स बॉल तेयार किये जा चुके है। सामाजिक कार्यकर्ता भावना पालीवाल ने बताया की संस्था पिछले 6 साल से सीड्स बॉल टेक्निक का प्रयोग कर रही है बारिश के समय सक्सेस रेट 70  प्रतिशत से भी ज्यादा रहता है। 2019 में 10 हजार, 2020 में 17 हजार, 2021 में 25000 और 2022 में 30000, 2023 में 40000 सीड्स बॉल का छिडकाव भीम, देवगढ़, आमेट और कुम्भलगढ़ में कर चुके है और इस वर्ष 50 हजार से अधिक सीड्स बॉल छोड़ने का लक्ष्य है।

संसाधनों के अभाव में भी कर रही प्रयास
इन महिलाओ के पास कोई बड़ा ड्रोन और संसाधन नहीं लेकिन हिम्मत और जज्बा उससे भी बड़ा है पिछले कई सालो से गुलेल के माध्यम से और खड्डे खोदकर कई बीजो का छिडकाव किया है मंडल की महिलाओ का कहना है की अगर इन्हें कही से ड्रोन या ऐसा कोई संसाधन मिले तो पुरे संभाग में इस प्रकार का कार्य करना चाहती है।

इन बीजो का किया छिडकाव 
सीड्स बॉल के द्वारा मुख्य तौर पर नीम, पीपल, बबूल, रोहिडा, अमलताश, करंज, बड़, , शीशम तथा जामुन आदि के बीज थे। छिडक़ाव से पहले इन सीड्स बॉल को भिगोकर रखा गया ताकि थोड़ी सी भी मिट्टी मिलते ही यह बीज जड़ पकड़ लें।  

ये है सीड बाल बनाने की प्रक्रिया
बता दें कि सीड बॉल तैयार करने के लिए सबसे पहले बीज एकत्रित करना होगा। उपजाऊ मिट्टी के साथ गोबर या कम्पोस्ट खाद की बराबर मात्रा में मिश्रण तैयार कर गीला किया जाता है। उसे लड्डू के रूप में बनाकर बीचोंबीच बीज डालकर बंद कर दिया जाता है। ऐसे जगह रखकर सुखाया जाता है जहां सूरज की किरण न पहुंच सके। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि धूप की किरण नहीं पडऩे से गीली मिट्टी के बीच में रहने के बाद भी बीज अंकुरित नहीं होता है। सीड बॉल को पूर्ण रूप से सूख जाने पर अपने हिसाब से खाली पड़े स्थानों पर बारिश के मौसम में छोड़ दिया जाता है। मिट्टी जैसे ही गीली होती है बीज अंकुरित हो जाएगा और नए पौधे तैयार हो जाएंगे।

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