Saturday, September 21

देवेंद्र शर्मा, राजसमंद।
कन्हैयालाल हत्याकांड को दो साल पूरे हो गए है। लेकिन जो लोग इस दर्दनाक हादसे में कन्हैयालाल के परिवार के साथ डटकर खड़े थे। वो आज भी डर के साए में अपना जीवन बीता रहे हैं। उन्हें अभी हर समय भय और खौफ लगा रहता है। वजह साफ है, आरोपियों को पकड़वाने में पुलिस की मदद करने के बावजूद उन्हें आजतक सुरक्षा नहीं मिली। निवर्तमान गहलोत सरकार ने दोनों को रोजगार जरूर दिया, लेकिन सुरक्षा देने की बात अभी तक कागजों में दफन है। धरातल पर कुछ नहीं हुआ।

बीते दो साल में उदयपुर के कन्हैयालाल के परिवार के अलावा भी कई परिवारों ने बहुत कुछ देखा और सहन किया था। ज्ञात रहे इस हत्याकांड का गवाह कन्हैयालाल की दुकान पर काम करने वाला एक व्यक्ति था, जो उस घटना के बाद पैरालिसिस का शिकार हो गया। वहीं राजसमंद जिले के वो दो जांबाज युवा, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कन्हैया लाल के आरोपियों को पकड़वाने में पुलिस की मदद की थी। यह दोनों जांबाज युवा आज भी डर के साए में जीने को मजबूर है। लेकिन इन्हें अभी तक कोई सुरक्षा नहीं मिली है।

बता दें कि भीम के पूर्व विधायक सुदर्शन सिंह रावत की पहल पर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने इन दोनों को नौकरियां दिलवाई थी। इन्हे सुरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस का वादा भी किया गया था। जानकारी के अनुसार प्रह्लाद सिंह चुंडावत को उपखंड कार्यालय देवगढ़ में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर और शक्ति सिंह चुंडावत को तहसील कार्यालय देवगढ़ में कनिष्ठ लिपिक के पद पर ज्वाइनिंग मिल गई, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से हथियार के लाइसेंस दोनों को अब तक नहीं मिल पाए। आज दोनों को सरकारी नौकरी मिलने से आर्थिक संबल तो मिला है, लेकिन इनके मन में अज्ञात डर बना हुआ है। शक्ति सिंह और प्रहलाद ने जी मीडिया को बताया, कन्हैयालाल के हत्यारों को पकड़वाने का उन्हें गर्व है। उन्होंने बताया सरकार की ही सुरक्षा एजेंसियों ने यह माना कि मुझे व मेरे साथ प्रह्लाद को भी सुरक्षा मिलनी चाहिए और हथियार लाइसेंस भी आवश्यक बताया था फिर सुरक्षा, हथियार लाइसेंस का वादा भी किया था। लेकिन आज तक उन्हें सुरक्षा के लिहाज से कुछ नहीं मिला।

आतंकी रियाज और गौस मोहम्मद को पकड़वाने के लिए हमने हमारी जान की बिलकुल भी परवाह नहीं की लेकिन इसके बाद प्रशासन या सरकार तक को हमारी कोई फिक्र नहीं है। तभी तो ना सुरक्षा मिली ना ही हथियार लाइसेंस। सरकारी नौकरी मिलने से तो आर्थिक संबल मिला लेकिन अज्ञात डर हमेशा मन में रहता है। इन बदमाशों को पकड़वाने के बाद एक बार तो शक्ति सिंह व प्रह्लाद सिंह के रिश्तेदार तो क्या मित्रों ने भी दूरी बना ली थी।समाज के साथ खड़े रहने और सरकारी नौकरी की कार्रवाई होने के बाद प्रह्लाद की जनवरी में शादी हुई, जबकि शक्ति सिंह की अब नवंबर में शादी प्रस्तावित है। आतंकियों को पकड़वाने की वजह से उनके मित्रों ने भी दूरी बना ली थी, क्योंकि उन्हें भी डर था कि कहीं कुछ हो ना जाए। बता दें कि उदयपुर में कन्हैयालाल की नृशंस हत्या की सूचना सोशल मीडिया पर फैलने से मेवाड़ ही नहीं बल्कि देशभर में घटना को लेकर आक्रोश व दहशत का माहौल बन गया था।

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