Monday, September 23

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज

राजस्थान प्रदेश के भाजपा में लंबी सेवा देने वाले बुजुर्ग नेता सुंदरलाल ‘काका‘ का निधन हो गया है। उन्होंने SMS अस्पताल में उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। एसएमएस के मेडिकल आईसीयू में काका का इलाज चल रहा था। सुंदरलाल काका शेखावाटी के प्रखर दलित नेता माने जाते हैं। इनके निधन से प्रदेशभर में शोक की लहर छा गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने काका के निधन पर संवेदना व्यक्त की है।

सुंदरलाल ‘काका’ 7 बार विधायक बने
सुंदरलाल ‘काका’ शेखावाटी क्षेत्र के कद्दावर नेता थे। झुंझुनूं के सूरजगढ़ और पिलानी विधानसभा क्षेत्र से काका सुंदरलाल सात बार विधायक रहे थे। वे दाे बार केबिनेट मंत्री, एक बार राज्य मंत्री व एक बार संसदीय सचिव भी बने। काका सुंदरलाल ने सूरजगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर 1972 में अपना पहला चुनाव लड़ा था और पहली बार सूरजगढ़ से विधायक बने थे। काका सुंदरलाल का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुंझुनूं जिले के बुहाना तहसील के कलवा गांव में हुआ था।

पूर्व कैबिनेट मंत्री सुंदरलाल ने 22 अगस्त को ही अपना 92वां जन्मदिवस मनाया था। सुंदरलाल ‘काका’ का लम्बी बीमारी के बाद गुरुवार की देर रात करीब 2 बज कर 40 मिनट पर निधन हो गया। उनकी आयु 92 साल की थी। फेफड़ों में इंफेक्शन और सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें 24 अगस्त को जयपुर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसके कुछ दिन बाद उन्हें छुट्‌टी दे दी गई थी और वे जयपुर में अपने आवास पर रह रहे थे। काका के निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छा गई। राजनीति में अपने करीब 60 साल के कॅरियर में वे हमेशा अपनी बात को बेबाक तरीके से कहने और ठेठ देसी अंदाज के लिए जाने गए। इसी कारण लोग उन्हें काका कहते थे।

काका का जीवन संघर्ष
राजनीति में आने से पहले सुंदरलाल का जीवन काफी संघर्षमय रहा। आजीविका के लिए वे नेपाल में लकड़ी काटने के काम पर गए थे, जहां उन्हें डेढ़ रुपया प्रतिदिन की मजदूरी मिलती थी। काका सुंदरलाल ही कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि एक बार वहां उन्होंने किसी कार्यक्रम में एक भजन सुनाया, जिसके लिए उन्हें 300 रुपए मिले। मजदूरी से महीने के 45 रुपए मिलते थे और भजन गाने पर 300 रुपए मिले। हालाकि बाद में काका गांव लौट आए।

भैरोसिंह हेलीकॉप्टर से काका सुंदरलाल को लेने गए
1993 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आई थी, लेकिन स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था। पार्टी का नेतृत्व भैरो सिंह शेखावत कर रहे थे। सरकार बनाने के लिए एक-एक वोट कीमती था। भैंरो सिंह शेखावत ने चुनाव परिणाम आने के बाद काका को फोन किया, कहा लेने के लिए आ जाता हूं, मेरे साथ चलोगे? काका ने कहा कि आ जाओ। तब भैरोसिंह हेलीकॉप्टर से काका सुंदरलाल को लेने आए थे। सुंदरलाल, भैंरोसिंह शेखावत के साथ जयपुर पहुंचे और उनको अपना समर्थन दिया। बाद में शेखावत के कहने पर ही सुंदरलाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। शेखावत ने ही काका सुंदरलाल को 1998 में पहली बार मंत्री बनाया। उन्हें ऊर्जा और मोटर गैराज राज्य मंत्री का पद दिया गया था। काका हमेशा अपनी बेबाकी के लिए जाने गए और क्षेत्र के साथ ही पार्टी में उनकी खासी पकड़ थी। 2003 के बाद से वे लगातार भाजपा से जुड़े रहे।

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