जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़
प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, जिसकी तैयारी सभी दल अपने-अपने हिसाब से करने में लगे हैं। हैरानी की बात यह है कि किसी भी दल के पास अभी चेहरा तय नहीं हो पा रहा है। किसी बड़े नेता का उपचुनाव होने वाले क्षेत्रों में दौरा होता भी नहीं देखा जा रहा है।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने उन सभी सीटों पर अलग-अलग कमेटी गठित कर दी है। बीजेपी ने भी सीट वार प्रभारी बना दिए हैं। सबकुछ करने के बाद भी उन सीटों पर कोई चुनावी माहौल नहीं बन पा रहा है। जिसकी वजह यह है कि उन सीटों पर अभी प्रत्याशी तय नहीं हो पा रहे हैं। इस वजह से सबकुछ ठप सा दिख रहा है। उन सीटों पर जिन्हें लगता है टिकट मिलेगा और जिन्हें लगता है नहीं मिलेगा, सभी खामोश हैं। सभी को बड़े नेताओं के संकेत मिलने का इंतजार है।
दौसा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर है। यहां पर अभी बीजेपी के पास चेहरा तय नहीं हो पाया है। कांग्रेस दौसा सांसद मुरारीलाल मीणा के संकेत का इंतजार कर रही है। वहीं, झुंझुनूं सीट पर भी ऐसी स्थिति है। कांग्रेस के नेता ओला परिवार के संकेत के इंतजार में हैं।
बीजेपी ने भी इस सीट पर अभी तक कोई नाम तय नहीं किया है। देवली-उनियारा में स्थिति कांग्रेस की साफ नहीं है और बीजेपी पुराने चेहरे पर जाना चाह रही है।
चौरासी पर भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) पर सबकुछ निर्भर कर रहा है। BAP अभी अपने पत्ते नहीं खोलती दिख रही है। उसके बाद ही कांग्रेस की स्थिति साफ होगी।
सलूंबर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस दोनों आमने-सामने हैं। यहां पर भी BAP अपने दावे ठोंक रही है। इसलिए यहां पर भी अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। खींवसर विधानसभा क्षेत्र में आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की वजह से बीजेपी और कांग्रेस में स्थिति साफ नहीं हो पाई है। अलवर की रामगढ़ सीट पर कुछ भी साफ नहीं है। इसलिए यहां पर भी अभी मामला फंसा हुआ ही नजर आ रहा है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और बीजेपी में कई दिग्गज नेता उपचुनाव में भाग्य आजमाना चाह रहे हैं। इसलिए अभी नाम तय नहीं हो पा रहा है। वहीं, कुछ सीटों पर गठबंधन को लेकर भी माहौल समझा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जल्द इसपर कोई बड़ा बदलाव दिख सकता है।