जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज
प्रदेश में जल्द ही सात सीटों पर आने वाले दिनों में उपचुनाव होने हैं, जिसके लिए बीजेपी और कांग्रेस सहित आरएलपी और बीएपी तैयारियों में लगी हैं। कांग्रेस में सभी सात सीटों पर लगभग प्रत्याशी तय हैं लेकिन बीजेपी में अभी तक तस्वीर साफ होती नजर नहीं आई है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस में जहां टिकटों के लिए ज्यादा मारामारी नहीं दिख रही है, वहीं बीजेपी में टिकट के लिए जबरदस्त खींचतान देखने को मिल रही है। भाजपा के लिए इन सात सीटों पर उम्मीदवार चुनना आसान नजर नहीं आ रहा है। पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं। उसे अपनी प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखना है और गुटबाजी पर भी लगाम लगानी है। माना जा रहा है कि भाजपा कुछ चौंकाने वाले नामों की घोषणा भी कर सकती है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस उपचुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पार्टी के नेता लगातार इन उपचुनाव होने वाले क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और वहां के कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं। बीजेपी का मुख्य रूप से फोकस अभी सदस्यता अभियान पर है। पार्टी चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग भाजपा से जुड़ें। खास तौर पर उन क्षेत्रों में जहां उपचुनाव होने हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी ने अब टिकट के दावेदारों और पद की चाहत रखने वालों को ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार झुंझुनूं विधानसभा सीट पर तो बीजेपी का प्रत्याशी बनने की दौड़ में दो दर्जन से ज्यादा नेता शामिल हैं। ऐसे में पार्टी के लिए यहां प्रत्याशी चुनना मुश्किल काम होने वाला है। टिकट के लिए मची खींचतान को देखते हुए पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से एकजुट रहने की अपील की है। अभी हाल ही में झुंझुनूं दौरे पर पहुंचे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कार्यकर्ताओं से कहा कि “वे अलग-अलग गुटों में बंटकर जनता को बांटने का काम न करें। पार्टी की पूंजी बिखरी हुई है, उसे समेटने की जरूरत है।”
राठौड़ ने कहा है कि “नेता तो बस चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन जनता को चाहिए सरकार और विकास। जनता चाहती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूत बनें, इसलिए सभी को एकजुट होना होगा।” उन्होंने कहा, मेरी प्रार्थना है कि भाजपा को संगठित कर दो, एकजुट कर दो, ये बहुत जरूरी है। बिखरने वाला काम मत करो।” कुल मिलाकर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इन चुनावों को अपने लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न मानकर मैदान में हैं। देखना होगा कि इन चुनावों में कौन सी पार्टी अपनी रणनीति में सफल रहती है।