Sunday, September 22

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़

प्रदेश में होने वाले उपचुनावों को लेकर बीजेपी ने कमर कस ली है। प्रत्याशियों के नाम अभी तय नहीं हुए है, लेकिन इस पर मंथन चल रहा है। पार्टी के नेता जोरशोर से तैयारियों में जुटे हैं। प्रदेश की पांच विधानसभाओं में उपचुनाव होने है। सोमवार को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने सभी सीटों के प्रभारियों को स्थानीय स्तर पर बैठक लेने और प्रत्याशियों के नामों पर रायशुमारी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि समय पर जिताऊ उम्मीदवार का चयन हो सके।

बीजेपी इस बार राजस्थान के उपचुनावों में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। इसकी साफ वजह है कि हाल ही में 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट सामने आया था, जिसमें इंड़िया गठबंधन ने 10 और एनडीए को महज दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।

भाजपा की बढ़ी टेंशन
हाल में आए उपचुनाव के परिणामों के बाद बीजेपी की टेंशन बढ़ती जा रही है। बीजेपी ने हाल में हुए उपचुनावों से एक तरह से सबक भी लिया है। उधर, कांग्रेस के नेता भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधने से चूक नहीं कर रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने तो साफतौर पर कह भी दया है कि ‘इतिहास गवाह है, उपचुनावों में हमेशा कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है। हम सभी पांच सीटों पर उपचुनाव जीतेंगे, इसके लए पूरी ताकत से चुनाव मैदान में लड़ेंगे और हर सीट पर बेहतर उम्मीदवार उतारेंगे।

यहां प्रस्तावित है उपचुनाव
राजस्थान में पांच सीटों पर उपचुनाव होना है इनमें दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू और चौरासी विधानसभा सीट शामिल हैं। इन पांचों सीटों पर चुने गए विधायक लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद बन गए हैं, इसीलिए संभावित है कि नवंबर में यहां उपचुनाव कराए जाए। वहीं 2023 के चुनाव में भी इन पांच सीटों में से तीन पर कांग्रेस, एक पर आरएलपी और एक पर बीएपी को जीत हासिल हुई थी।

जीत के लक्ष्य के साथ बढ़ेंगे
इस उपचुनाव का गणित देखे तो यहां पर बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और पाने के लिए पांच सीटें हैं। इसीलिए भाजपा नेता जीत का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसी के चलते दो दिन पहले भाजपा कार्यसमिति की बैठक भी बुलाई गई थी, जिसमें प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता सहित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नजर आए थे। इस बैठक में वसुंधरा राजे की मौजूदगी ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। ऐसा माना जाने लगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में इनएक्टिव रहीं राजे इस बार उपचुनाव में अपना योगदान दे सकती हैं, जिससे ना सिर्फ बीजेपी में चल रही अंदरूनी कलह खत्म होगी, बल्कि पार्टी का जनाधार भी मजबूत होगा।

राजस्थान प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे ने भी बैठक में इस पर जोर दिया था कि एक-दूसरे की बात करने (कमी को दूर कर)निष्पक्ष तरीके से आत्मपरीक्षण कर चुनाव परिणामों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि उसमें सुधार हो सके।

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