Tuesday, November 26

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़

पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले प्रदेश में छात्र संघ चुनावों पर बैन लगाया था, अब सरकार हाथ से जाने के बाद अशोक गहलोत के सुर बदल गए हैं और वे छात्र संघ चुनाव करवाने का समर्थन करने लगे हैं। गहलोत ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए प्रदेश में छात्र संघ चुनाव करवाए जाने का समर्थन किया है। उनके इन बयानों के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा छिड़ गई है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गहलोत दोगलेपन का शिकार हो गए हैं।

सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट के मुताबिक अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार को छात्र संघ चुनाव करवाने चाहिए। उन्होंने हवाला दिया है कि ‘हमारी सरकार के दौरान परिस्थितियों दूसरी थी, इस कारण उस समय छात्र संघ चुनाव नहीं हो पाए। सोशल मीडिया एक्स पर गहलोत ने लिखा है कि राजस्थान की भाजपा सरकार की ओर से छात्र संघ चुनाव को पुन: शुरू नहीं करना उचित नहीं है। हमारी सरकार के दौरान विधानसभा चुनाव की पूर्व तैयारियों के कारण चुनाव स्थगित किए गए थे, परंतु अब स्थिति ऐसी नहीं है।

मेरे सहित पक्ष विपक्ष के तमाम विधायक, सांसद, मंत्री, छात्र संघ की राजनीति से निकल कर आए हैं, स्वयं मुख्यमंत्रीजी एबीवीपी के सदस्य रहे हैं। छात्र संघ चुनाव राजनीति की प्रारंभिक पाठशाला है, इसलिए चुनाव शुरू करवाए जाने चाहिए। इसके अलावा छात्र संघ चुनाव के लिए बनाई गई आदर्श आचार संहिता की भी पालना सुनिश्चित करवाई जानी चाहिए।
गौरतलब है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सत्र, 2023-2024 में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए गए थे। उस समय गहलोत सरकार में छात्र संघ चुनाव नहीं कराने को लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने एक रिपोर्ट दी थी।

जिसमें कहा गया था कि चुनाव में बाहुबल और धनबल का उपयोग किया जाता है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह कमेटी की शर्ते लागू हैं, लेकिन इन शर्तों का जमकर उलंघन होता है। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव में 5 हजार से ज्यादा खर्च नहीं किये जा सकते, लेकिन प्रत्याशी इसमें लाखों रुपए खर्च करते थे। चुनावों के कारण छात्रों के बीच लड़ाई और एक-दूसरे पर हमले भी किये जाते हैं।

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