दिल्ली डेस्क, राजस्थान पल्स न्यूज।
तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर की गई विवादित टिप्पणी पर माफी मांगने से इंकार कर दिया है। उन्होंने सोमवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में कहा कि मैंने सनातन को लेकर वही बातें कहीं, जो पेरियार, अन्नादुराई और करुणानिधि भी कहते थे।
उदयनिधि ने कहा कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। तमिलनाडु सहित देशभर में कई कोर्ट केस भी हुए। उन्हें माफी मांगने के लिए भी कहा गया, लेकिन मैं कलैगनार (कला के विद्वान) का पोता हूं। मैं माफी नहीं मांगूंगा।
उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य महिलाओं के प्रति कथित दमनकारी प्रथाओं को बताना था। हिंदू धर्म में महिलाओं को पढ़ने की अनुमति नहीं थी। वे अपने घर से बाहर नहीं जा सकती थीं और अगर उनके पति मर जाएं तो उन्हें भी मरना पड़ता था। पेरियार ने इन सबके खिलाफ आवाज उठाई थी। उप मुख्यमंत्री स्टालिन ने आरोप लगाया कि राज्य में हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा- तमिलगान में हाल ही में किए गए बदलाव इन कोशिशों के सबूत हैं। दूरदर्शन के तमिल कार्यक्रम के दौरान राज्य गान से कुछ शब्दों को जानबूझकर हटा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में कोई भी सीधे तौर पर हिंदी नहीं थोप सकता, इसलिए वे तमिल गान से कुछ शब्द हटा रहे हैं। वे नई शिक्षा नीति के माध्यम से भी हिंदी थोपने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे सभी फेल हो जाएंगे। उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर 2023 को एक कार्यक्रम में सनातन धर्म के खिलाफ बयान दिया था। बयान देने के 4 दिन बाद यानी 7 सितंबर को उन्होंने पहली बार सफाई दी। उन्होंने कहा था, ‘मैं किसी भी धर्म का दुश्मन नहीं हूं। मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया।
उन्होंने कहा था कि मैं हिंदू धर्म नहीं सनातन प्रथा के खिलाफ हूं। तमिलनाडु में पिछले 100 सालों से सनातन धर्म के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। हम अगले 200 सालों तक भी इसके खिलाफ बोलना जारी रखेंगे। अतीत में कई मौकों पर अंबेडकर, पेरियार भी इसके बारे में बोलते रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च को उदयनिधि स्टालिन को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्टालिन ने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है। स्टालिन कोई आम आदमी नहीं है। उन्हें बयान के नतीजों के बारे में सोचना चाहिए था।