नई दिल्ली, राजस्थान पल्स न्यूज
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 सितंबर) को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है और हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी।
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमे कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन के स्वामित्व को लेकर हिंदू पक्षकारों की ओर से दाखिल सभी 15 सिविल वादों को सुनने योग्य मानते हुए मुस्लिम पक्ष की पांचों आपत्तियां खारिज कर दीं। ईदगाह कमेटी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जिसमें मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 18 मामलों की विचारणीयता को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दिया गया था।
1 अगस्त को हाईकोर्ट के जस्टिस ने 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले को चुनौती दी थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि सभी याचिकाएं एक ही नेचर की हैं। इसलिए एक साथ सभी याचिकाएं सुनी जाएं।
हिंदू पक्षकारों की दलीले
- बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।
- ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है, वह हिस्सा भी जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद है।
- शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है।
- श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
- ईदगाह में केवल सालभर में 2 बार नमाज पढ़ी जाती है।
- सियासी षड्यंत्र के तहत ईदगाह का निर्माण कराया गया था।
- मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है।
- जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है।
मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें
- वक्फ ट्रिब्यूनल में सुनवाई हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला नहीं।
- समझौता 1968 का है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। मुकदमा सुनवाई लायक नहीं।
- प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत मुकदमा आगे ले जाने के काबिल नहीं है।
- 15 अगस्त 1947 वाले नियम के तहत जो धार्मिक स्थल जैसा है वैसा रहे, उसकी प्रकृति नहीं बदल सकते।
- लिमिटेशन एक्ट, वक्फ अधिनियम के तहत इस मामले को देखा जाए।