मुंबई, राजस्थान पल्स न्यूज
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके अंतिम दर्शन के लिए राजनीतिक नेताओं के साथ कई बॉलीबुड अभेनता और देश के नामी व्यापारी भी पहुंचेंगे। रतन टाटा पारसी थे, फिर भी उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों से नहीं होगा। बल्कि, रतन टाटा का अंतिम संस्कार वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह में होगा। क्या है आखिर पारसी समुदाय का अंतिम संस्कार का तरीका ?
पारसी लोगों का अंतिम संस्कार का तरीका
पारसी लोगों के रीति रिवाज हिंदुओं के दाह संस्कार और मुस्लिमों के दफनाने की प्रथा से बेहद अलग है। पारसी लोगों का यह मानना है कि मानव शरीर प्रकृति का दिया एक उपहार है। ऐसे में मौत के बाद उसे प्रकृति को लौटाना होता है। दुनियाभर में पारसी इसी तरह शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। शवों को टावर ऑफ साइलेंस में रखा जाता है।
क्या होता है टावर ऑफ साइलेंस?
टावर ऑफ साइलेंस एक ऐसी जगह है जहां पारसी लोग अपने प्रियजनों के मरने के बाद उनके शवों को प्रकृति की गोद में छोड़ देते हैं। इसे दखमा भी कहते हैं। जहां गिद्ध इन शवों को खा जाते हैं। इसे शव को ‘आकाश में दफनाना’ भी कहा जाता है।
शवों को दफनाते या जलते नहीं है
पारसी समुदाय मृत शरीर को अपवित्र मानते है। पर्यावरण प्रेमी पारसी लोगो का मानना है कि शव को दफनाने से धरती प्रदूषित हो जाती है और जलाने से अग्नि तत्व अपवित्र हो जाता है। नदी में बहाने से भी जल तत्व अपवित्र हो जाता है। पारसी धर्म में इन तीनों तत्वों को बहुत पवित्र माना जाता है।
रतन टाटा के अंतिम संस्कार का तरीका
रतन टाटा के पार्थिव शरीर को वर्ली के इलेक्ट्रिक अग्निदाह के लिए लेकर जाएंगे। फिर, उनके शरीर को प्रार्थना हॉल में रखा जाएगा। प्रार्थना हॉल में करीब 200 लोग होंगे, करीब 45 मिनट की प्रार्थना के बाद पारसी रीति से ‘गेह-सारनू’ पढ़ा जाएगा। उसके बाद रतन टाटा के मुंह पर एक कपड़े का टुकड़ा रख कर ‘अहनावेति’ का पहला पूरा अध्याय पढ़ा जाएगा। प्रार्थना के बाद उनके पार्थिव शरीर को इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखकर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।