Sunday, November 24

प्रयागराज।

देश में चल रहे धर्मान्तरण मामलो को लेकर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी तल्ख टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि धार्मिक सभाओं में इस तरह की प्रवृति को रोकना होगा, यदि इस पर अंकुश नहीं लगा तो एक दिन देश के बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी। हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि इस तरह की धर्म सभाओं भी रोक लगाई जानी चाहिए, जहां पर धर्मान्तरण की जाती है। ऐसे आयोजन संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।

इस अनुच्छैद में किसी भी धर्म को मानने और पूजा करने के साथ ही उस धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता भी देता है। लेकिन धर्म परिवर्तन की नहीं देता। उत्तर प्रदेश के एक मामले में दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है धर्म प्रचार करने की स्वतंत्रता धर्म को परिवर्तन करने की अनुमित नहीं देती है।

कोर्ट ने कहा कि जानकारी में आया है कि यूपी में इस तरह के धार्मिक सभाओं के माध्यम से भोले-भाले गरीब तबके लोगों को गुमराह करके ईसाई बनाया जा रहा है। इस तरह धर्म परिवर्तन कराने के आरोप को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। जमानात अर्जी को खारिज करने के आदेश न्यायामूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दिया है। इस मामले में हिन्दू से ईसाई बनाने के आरोपी मौदहा हमीरपुर के निवासी कैलाश की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

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