Sunday, September 22

जैसलमेर, राजस्थान पल्स न्यूज

भारत के हल्के वजन के टैंक ‘जोरावर’ का राजस्थान में शुरुआती ऑटोमोटिव परीक्षण किया गया है। भारतीय लाइट टैंक के डेवलपमेंटल फील्ड फायरिंग ट्रायल का पहला चरण सफल रहा। इस लड़ाकू वाहन को चीन के साथ सीमा पर सेना की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विकसित किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि टैंक ने असाधारण प्रदर्शन किया तथा इसने रेगिस्तानी इलाके में आयोजित क्षेत्रीय परीक्षणों के दौरान सभी इच्छित उद्देश्यों को कुशलतापूर्वक पूरा किया। इस टैंक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के साथ मिलकर बनाया है। फील्ड टेस्ट के दौरान ‘जोरावर’ ने तय टारगेट पर सटीकता के साथ निशाना लगाया।

25 टन वजनी है जोरावर, पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए सक्षम
डीआरडीओ और एलएंडटी डिफेंस वायु मार्ग से परिवहन किए जाने योग्य 25 टन वजन के टैंक विकसित कर रहे हैं। जोरावर टैंक उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे कि पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए सक्षम है। पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए जोरावर को एक अत्यधिक बहुमुखी प्लेटफॉर्म माना जा रहा है। लेकिन, यह न केवल पहाड़ी इलाकों के लिए एक बेहतरीन टैंक है, बल्कि रेगिस्तानी इलाके में भी इसने अपना प्रभाव दिखाया है।

25 टन वजनी यह टैंक पहाड़ी घाटियों में तेज गति से चल सकता है और भारतीय वायुसेना का C-17 विमान एक बार में दो टैंकों को एक साथ ले जा सकता है। भारतीय सेना इस टैंक को लद्दाख में चीन सीमा के पास तैनात करने की तैयारी में है। गौरतलब है कि गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से सेना ने लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय हल्के टैंक के सफल परीक्षणों को महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में भारत की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

2027 तक सेना में शामिल
मंत्रालय ने कहा, ‘डीआरडीओ ने 13 सितंबर को भारतीय हल्के टैंक जोरावर का प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण सफलतापूर्वक किया, जो अत्यधिक महत्वपूर्ण लड़ाकू वाहन है। भारतीय सेना 350 से अधिक हल्के टैंक की तैनाती पर विचार कर रही है, जिनमें से अधिकतर को पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। यह टैंक पहाड़ी इलाकों में दौड़ सकेगा। जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद साल 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।

Exit mobile version