राजस्थान पल्स न्यूज
भारतीय वायु सेना भारतीय सशस्त्र बलों की वायु शाखा है इसका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय हवाई क्षेत्र सुरक्षित करना और सशस्त्र संघर्षों के दौरान हवाई युद्ध करना है। 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायुसेना का गठन हुआ। ब्रिटीशर्स द्वारा आजादी से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयरफोर्स नाम दिया गया था। इसे ब्रिटिश राज की सहायक वायुसेना के तौर पर बनाया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसमें से रॉयल शब्द हटाया गया।
1945 के दूसरे विश्वयुद्ध में भारतीय वायुसेना ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। बर्मा और थाईलैंड स्थित जापान के एयरबेस ठिकानों पर हमलों में इसकी अहम भूमिका रही। इसी योगदान को देखते हुए किंग जॉर्ज-6 ने भारतीय वायुसेना के आगे रॉयल शब्द लगा दिया। लेकिन आजादी के कुछ वर्षों बाद ही 1950 में रॉयल शब्द हटा कर इसका नाम भारतीय वायुसेना किया गया।
देश की आजादी के बाद भारतीय वायुसेना की भूमिका तब देखने को मिली जब कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय पर हस्ताक्षर किए, तब पाकिस्तान के कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोल दिया। भारतीय वायुसेना ने फौरन श्रीनगर में भारतीय सैनिकों को पहुंचाने का काम किया जो इस युद्ध में निर्णायक साबित हुआ।
1950 से अब तक भारतीय वायुसेना पड़ोसी पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में शामिल रही है । भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन कैक्टस और ऑपरेशन पुमलाई शामिल हैं। भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायुसेना के सुप्रीम कमांडर का पद रखते हैं।
1965 के भारत-पाक युद्ध में पहली बार भारतीय वायुसेना सक्रिय रूप से युद्ध में शामिल हुई और उल्लेखनीय भूमिका निभाई। 1971 में बांग्लादेश की आजादी, 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के जरिए सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा, 1999 में कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना ने देश की सेना के साथ देते अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई।
देश में बाढ़ व भूकंप जैसी आपदाओं में भी राहत कार्यों में भारतीय वायुसेना ने यहां भूमिका निभाई है। भारतीय वायुसेना ने 1998 में गुजरात चक्रवात , 2004 में सुनामी और 2013 में उत्तर भारत मे बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्यों में व्यापक सहायता प्रदान की। भारतीय वायुसेना ने श्रीलंका में ऑपरेशन रेनबो जैसे राहत मिशन भी चलाए हैं।