Saturday, November 23

नई दिल्ली, राजस्थान पल्स न्यूज।

अपराधियों पर नकेल कसने के लिए आजकल सरकार की और से बुलडोजर एक्शन भी लिया जाता है। इसको लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। कोर्ट ने बीते दिनों एक अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा था कि अगली सुनवाई तक देश में कही भी इस तरह का एक्शन नहीं लिया जा सकता। इसमें सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइन पर हो रखें अवैध अतिक्रमण पर एक्शन को अलग रखा था। इसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस दौरान एसजी तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार का पक्ष रखा। साथ ही कहा कि एक समुदाय विशेष के खिलाफ बुलडोजर एक्शन किए जाने के आरोप लगे हैं। यही बात परेशान कर रही है।

इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। हम जो भी निर्धारित कर रहे हैं वह पूरे देश के लिए होगा। चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, उसे हटाना ही सही होगा, क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सबसे पहले है। केंद्र के सवाल उठाने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं।  

अवमानना की दो याचिकाएं
सोमवार को असम के सोनापुर में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ 47 रहवासियों ने जानबूझकर आदेश का उल्लंघन करने के खिलाफ याचिका लगाई। न्यायालय  ने असम सरकार के अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब मांगा है।
इसी तरह मंगलवार को पाटनी मुस्लिम ट्रस्ट ने अवमानना ​​याचिका दायर की है। आरोप है कि गुजरात के अधिकारियों ने अवैध तरीके से धार्मिक और आवासीय स्थल तोड़े, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।

तुषार मेहता बोले- मैं उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की ओर से पेश हुआ हूं। लेकिन बेंच ने कहा है कि गाइडलाइन पूरे देश के लिए होगी इसलिए उनके कुछ सुझाव हैं। बहुत सारी चीजों पर ध्यान दिया गया है। अगर कोई आदमी किसी अपराध में दोषी है तो यह बुलडोजर एक्शन का आधार नहीं है।

जस्टिस गवई- अगर वो दोषी है, तो क्या यह बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है?

सॉलिसिटर जनरल- नहीं। आपने कहा था कि नोटिस इश्यू किया जाना चाहिए। ज्यादातर निगम कानूनों में प्रकरण के हिसाब से नोटिस जारी करने की व्यवस्था होती है।  नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजा गया है। नोटिस में जिक्र होना चाहिए कि किस कानून का उल्लंघन किया गया है।

जस्टिस गवई- हां एक राज्य में भी अलग-अलग कानून हो सकते हैं।

ऑन लाइन पोर्टल हो- सुनवाई के दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने कहा है कि इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इसे डिजिटलाइज कीजिए। अफसर भी सेफ रहेगा। नोटिस भेजने और सर्विस की स्थिति भी पोर्टल पर रहेगी। सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल एजेंसी की मदद की बात को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमें इंटरनेशनल एजेंसी की मदद नहीं चाहिए। एडवोकेट सिंह ने कहा- हम घरों के बड़े मसले को नहीं देख रहे हैं, हम सिर्फ छोटे मुद्दे को देख रहे हैं।अवैध अतिक्रमण के मसलों में कुछ कानून है।

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