नई दिल्ली, राजस्थान पल्स न्यूज।
देश में फैल रही चांदीपुरा वायरस अब डराने लगा है। यह बीमारी लोगों के जीवन पर भारी पड़ रही है। सूत्रों के अनुसार इससे अब तक 59 लोगों की जान चली गई है। देश में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 148 मामले सामने आए हैं, इसमें 59 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 51 रोगियों में चांदीपुरा वायरस की पुष्टि हुई है।
गुरुवार को जारी एक बयान में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि 19 जुलाई से एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के दैनिक रिपोर्ट किए गये नए मामलों में गिरावट हो रही है। जून के शुरू से ही 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में गुजरात से एईएस के मामले सामने आए हैं। बुधवार तक 148 मामले सामने आये हैं। इनमें गुजरात के 24 जिलों से 140, मध्य प्रदेश से चार, राजस्थान से तीन और महाराष्ट्र से एक मामला दर्ज किया गया है। इससे प्रभावित 59 लोगों की मृत्यु हो गई है और 51 मामलों में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) की पुष्टि हुई है।
एईएस मामलों की रिपोर्ट करने वाले पड़ोसी राज्यों का मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र के संकाय (एनसीवीबीडीसी) ने एक संयुक्त सलाह जारी की है। केंद्रीय टीम ने पड़ोसी राज्यों को सलाह में बताया कि वे वेक्टर नियंत्रण के लिए कीटनाशक स्प्रे, शिक्षा और संचार (आईईसी), चिकित्सा कर्मियों का संवेदीकरण और सुविधाओं के लिए मामलों को समय पर रेफर करना शामिल करें। इस स्थिति से निपटने के लिए आज स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) और निदेशक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और महानिदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मौजूदा हालात की समीक्षा भी की। केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने और प्रकोप की विस्तृत महामारी की जांच के लिए गुजरात राज्य सरकार की सहायता के लिए एक राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया टीम (एनजेओआरटी) को तैनात किया गया है।
यह है चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) रबडोविरिडे परिवार का सदस्य है और देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में विशेष रूप से मानसून के मौसम में प्रकोप का कारण बनता है। यह बीमारी अधिकतर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसमें बुखार हो सकता है, जिसके कारण शरीर में ऐंठन, कोमा की स्थिति और कुछ मामलों में मृत्यु तक हो सकती है। इसका उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है। संदिग्ध एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम मामलों को समय पर सुविधाओं से लैस अस्पतालों में रेफर करने से परिणामों में सुधार देखने को मिलते हैं।