Sunday, November 24

संकलन: रानी जोशी, राजस्थान पल्स न्यूज़

14 अगस्त 1947 का वो दिन जब भारत के हो गए दो टुकड़े। ऐसी घटना जो उस दौर में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था। भारत का विभाजन हिन्दू ओर मुस्लिम बहुलता के आधार पर हो गया। धर्म के हिसाब से भारत का बटवारा दो राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान में कर दिया गया।

लार्ड माउंटबेटन जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना के साथ भारत के विभाजन पर बात करते हुवे

यह थी विभाजन की पृष्ठभूमि
भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही “फूट डालो राज्य करो” की नीति का अनुसरण किया है। उन्होंने भारत के नागरिको को संप्रदाय के अनुसार अलग अलग बांटकर रखा। उनकी कुछ नीतियां हिंदुओं के प्रति भेदभाव करती थी तो कही मुस्लिमो के प्रति। मुसलमान धीरे-धीरे हिन्दुओं की बहुमता से डरने लगे थे ओर हिन्दुओं को लगा ब्रिटिशर्स मुसलमानों को विशेषाधिकार देने में लगे है। बस यही से विभाजन का बीजारोपण होने लगा था ओर कलकत्ता में होने वाले ” डायरेक्ट एक्शन डे ” ने आग में घी डालने का काम किया।

लॉर्ड माउंटबेटन की योजना के आधार पर भारत के विभाजन के लिए सभी राजनीतिक दलों ने सहमति दे दी। भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा ऐसे व्यक्ति की हाथों में सोंपी गई जिसने कभी भारत का दौरा तक नहीं किया था उसने बिना भारतीय संस्कृति को जाने भारत के टुकड़े धर्म के आधार पर कर दिए। लंदन के वकील सर रेडक्लिफ ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमारेखा तय की थी। सभी राज्यों को स्वेच्छा से देश चुनने की अनुमति दी गई और अधिकांश राज्यों ने धर्म की बहुलता के हिसाब से देश को चुना। विभाजन के कई महीनों तक जन पलायन चलता रहा। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार 1. 4 करोड़ लोग विस्थापित हुए , जिसमे 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गए और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।

लोग ट्रेनों ओर बसों में भरकर आने जाने लगे। महज कुछ महीनों में लोगों को वर्षों से बसाए अपने घर, कारोबार, खेती, जमीन, किसानी, दुकाने सब छोड़कर पलायन करना पड़ा। विभाजन की घोषणा के बाद पंजाब , अमृतसर , लाहौर , बंगाल इन सभी क्षेत्रों में दंगे अपनी चरम सीमा पर थे। कहा जाता है कि पाकिस्तान से आई एक ट्रेन में सिर्फ लाशें भरी हुई थी जिसमे पुरुष ओर बच्चों की संख्या अधिक थी। एक लाख से अधिक हिन्दू महिलाओं की बलात्कार और अपहरण कर हत्या कर दी गई, जबरन शादी , गुलामी, जख्म सब बंटवारे में औरतों के हिस्से आए।

अमृतसर में मुसलमानों ने हिन्दू औरतों के साथ सार्वजनिक बलात्कार करके, नग्न जुलूस निकाला , पंजाब , सिंध कश्मीर , और पूर्वी बंगाल में हिन्दुओ और सिखों की बस्ती पर मुसलमानो ने कब्जा करके पुरुषों को लाइन से खड़ा करके मार दिया और उनकी महिलाओ एवं संपत्ति को हड़प लिया। कई महिलाएं अपनी जान बचाने में सफल रही और विभजित भारत में आकर शरणार्थी शिविर में अपना जीवन बिताया। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने भी 12,000 मुस्लिम महिलाओं के साथ हुए अत्याचार का खुलासा किया । दंगों में मारे गए लोगो की संख्या 5 से 30 लाख तक थी।

देश की आज़ादी का स्वप्न लेकर कुर्बानी देने वालो ने सोचा तक नहीं होगा कि आजादी का मूल्य देश के टुकड़े करके चुकाना होगा। भारत माता की छाती पर आज़ादी का तिरंगा अपनो के लहू से रंगा होगा। आज़ादी के 77 साल बाद भी विभाजन का ये वीभत्स नरसंहार भुलाया नहीं जा सकता।

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