Sunday, September 22

नई दिल्ली, राजस्थान पल्स न्यूज़

आने वाले दिनों में अस्पतालों सुरक्षा के बंदोबस्त मजबूत किए जाएंगे। साथ ही नियमित रूप से सुरक्षा कर्मियों की गश्त शुरू की जाएगी। इसके लिए आज केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए है। इसके अनुसार सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधा परिसरों में नियमित सुरक्षा कर्मियों की गश्त शुरु करने, प्रमुख स्थानों पर भारतीय न्याय संहिता में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान प्रदर्शित करने के निर्देश दिये हैं।

केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने आज सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ एक ऑनलाइन बैठक में कहा कि सभी राज्यों को सभी अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधा परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था की तुरंत समीक्षा करनी चाहिए। साथ ही इसे मजबूत करने के कदम उठाने चाहिए।  अध्यक्षता गृह सचिव और स्वास्थ्य सचिव ने संयुक्त रुप से की।

बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इस दौरान बताया गया कि 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिए कानूनी व्यवस्था है। अन्य राज्यों से चिकित्सा समुदाय के लिए कानून बनाने का अनुरोध किया गया। बैठक में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक अतुल गोयल और संबंधित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी होगी
निर्देशों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले अनुबंधित और अंशकालिक कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन किया जाना चाहिए। जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक को सरकारी जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में सुरक्षा व्यवस्था का आंकलन करना चाहिए। अस्पताल परिसरों को सुरक्षित बनाने और चिकित्सा कर्मियों को अनुकूल परिवेश उपलब्ध कराने के लिए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी होगी। स्वास्थ्य सुविधा परिसर में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा से संबंधित दिशा निर्देश और भारतीय न्याय संहिता के संबंधित प्रावधानों को प्रदर्शित करना होगा। इन प्रावधानों में उल्लंघन करने पर दंड और जुर्माने का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। ये निर्देश अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में लिखे जाने चाहिए।

मुख्य सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी
सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में मुख्य सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए। बैठक में कहा गया कि सुरक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण लगातार जारी रहना चाहिए। रोगी को अस्पताल के विभिन्न हिस्सों में ले जाने के लिए सहायकों की संख्या बढाई जानी चाहिए। अस्पतालों में “अस्पताल सुरक्षा समिति और हिंसा निरोधक समिति” का गठन करना होगा। इसमें वरिष्ठ चिकित्सकों और प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया जाए। यह समिति अस्पताल में सुरक्षा नीति बनाने और सुरक्षात्मक उपाय लागू करने के लिए जिम्मेदार होगी।

अस्पताल के प्रमुख क्षेत्रों में आम जनता और रोगी के रिश्तेदारों के प्रवेश के लिए नियम बनाए जाने चाहिए और प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र व्यवस्था लागू करनी चाहिए।

रात की पारी में काम करने वाले चिकित्सकों, नर्स और अन्य कर्मियों के लिए अस्पताल में आवागमन को सुरक्षित बनाया जाना चाहिए और छात्रावास के रास्तों और अन्य क्षेत्रों में प्रकाश की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। रात्रि में अस्पताल के सभी भागों में नियमित गश्त की व्यवस्था की जानी चाहिए।

अस्पतालों में 24 घंटे के लिए सुरक्षा नियंत्रण कक्ष बनाया जाना चाहिए और निकटतम थाना से संपर्क रखा जाना चाहिए। अस्पताल में यौन प्रताडना पर आंतरिक समिति का गठन किया जाना चाहिए। सीसीटीवी की व्यवस्था की जानी चाहिए और उनके कामकाज की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए।

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