Sunday, September 22

जोधपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़

राजस्थान उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति एवम पोक्सो कमेटी के तत्वाधान में रविवार को जोधपुर स्थित राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी में किशोर न्याय अधिनियम 2015 के परिपेक्ष में देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों एवं विधि के साथ संघर्षरत बच्चों में दिव्यांग बच्चों के विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि न्यायाधिपति चंद्रशेखर ने बाल अधिकारों को लेकर पूरे विश्व में हो रहे कार्यों की विस्तृत चर्चा की। साथ ही, इस संदर्भ में भारत में हो रहे प्रयासों से भी अवगत कराया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायाधिपति डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने कहा कि किशोर बालकों को लेकर आज समाज में कई प्रकार के विचार चल रहे हैं। किशोर अवस्था में बालक बालिकाओं के साथ डील करना सभी स्टेकहोल्डर के लिए चुनौती पूर्ण कार्य है।

राजस्थान उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायाधिपति मनोज कुमार गर्ग ने भामाशाहों से आह्वान किया कि दिव्यांग बच्चों के लिए अपना आवश्यक सहयोग कर बाल संरक्षण को मजबूत करें। बाल देखरेख संस्थानों में किशोर गृह एवं संप्रेषण गृह की व्यवस्था अलग-अलग होनी चाहिए। बच्चों के हित में सभी को मिलकर पूर्ण मनोयोग से कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम में न्यायाधिपति शुभा मेहता ने स्वागत भाषण दिया। साथ ही, धन्यवाद ज्ञापन न्यायाधिपति इंद्रजीत सिंह ने दिया।

पोक्सो कमेटी अध्यक्ष न्यायाधिपति रेखा बोराणा ने पॉक्सो मुकदमो की स्थिति के बारे में विचार व्यक्त किया।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुलदीप रांका ने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में उमाशंकर शर्मा, स्टेट कमिश्नर कमीशन फॉर डिसेबिलिटी डॉ अरुण गर्ग, चिकित्सा विभाग अतिरिक्त मिशन निदेशक एच गुइटे, आयुक्त विशेष योग्यजन विभाग राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्री, यूनिसेफ के फील्ड ऑफिस चीफ ऋषभ हेमानी, शफकत हुसैन, डॉ पूजा मुकुल, अविचल चतुर्वेदी, आईसीडीएस कमिश्नर ओ पी बुनकर, डाॅ. आकाशदीप अरोड़ा ने संवाद किया।

कार्यशाला में राजस्थान उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति का लोगो एवं वेब पेज की लॉन्चिंग के साथ ही, पोस्टर का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर दिव्यांग बच्चों के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाल अधिकारिता विभाग, चिकित्सा विभाग सहित बच्चों के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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