Saturday, November 23

जोधपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।

जोधपुर के एक व्यापारी की पत्नी की सड़क दुर्घटना के बाद मौत हो गई। लेकिन वो मरने के बाद भी चार जिंदगियां बचा गई। दुर्घटना के बाद में उसका ब्रेन तीन दिन से डेड था। इसके बाद उसके परिजनों ने महिला के हार्ट, किडनी, लंग्स और लिवर को दान कर दिया। 

जोधपुर एम्स से आज सुबह 11 बजे फ्लाइट से हार्ट, 1 किडनी और लिवर जयपुर भेजा गया। वहीं, 1 किडनी जोधपुर के एम्स में ही मरीज को लगाई गई। परिजनों का कहना है कि उनकी इच्छा थी कि मरने के बाद उनके अंगदान किए जाए। ताकि मृत्यु के बाद भी किसी को जीवन मिल मिल जाए और वे खुद अमर हो सकें।

जताई थी अंगदान की इच्छा
व्यापारी रतनलाल ने बताया कि उनकी पत्नी कंवराई देवी (46) और बेटे के साथ बाइक पर 28 अगस्त को वो जैतारण स्थित दुकान से अपने गांव खारिया मीठापुर जा रही थी। इस दौरान सुबह 8:30 बजे तेज स्पीड कार से बचने के लिए रतनलाल ने ब्रेक लगाए तो बाइक स्लिप हो गई। इसी हादसे में पीछे बैठी कंवराई देवी घायल हो गईं, उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी।

इस दौरान उसे 11:00 बजे जोधपुर के एम्स अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया गया कि पत्नी का ब्रेन डेड हो चुका है। इस पर उन्होंने 3 दिन तक उनके स्वस्थ होने का इंतजार किया। लेकिन, सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। डॉक्टर की सलाह के बाद 31 अगस्त को उन्होंने निर्णय लिया कि अंग डोनेट किए जाने चाहिए।

ऑर्गन रिट्रीवल प्रक्रिया के बाद शव को पूरे सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ परिवार को सौंप दिया गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान परिवार को अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं का पालन करने का अवसर दिया गया और वे दूसरों के जीवन को बचाने में अपने निर्णय के महत्व को समझते हुए इस महादान के कार्य में सहयोगी बने। करुणा का यह कार्य दानकर्ता के परिवार की सहानुभूति के बिना संभव नहीं होता, जिन्होंने अपने दुःख के क्षण में, अंग दान का महान मार्ग चुना। चिकित्सा पेशेवरों के अटूट समर्पण और एम्स प्रशासन सहित पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं के समर्थन के साथ उनके निर्णय ने चार नए लोगो को जीवन का उपहार दिया है।

ताकि अंग खराब नहीं हो 
एम्स जोधपुर के हार्ट, किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर एएस संधू ने बताया कि कंवराई देवी गुर्जर के लीवर, हार्ट और दोनों किडनी दान की गई है। डॉक्टर ने बताया कि लिवर को 12 घंटे, किडनी 30 घंटे तक रखी जा सकती है, लेकिन हार्ट को 4 से 6 घंटे में लगाना पड़ता है। ऐसे में फ्लाइट के जरिए तीन अंग जयपुर भेजे गए हैं।

इन्हें एक विशेष बॉक्स में स्पेशल सॉल्यूशन के साथ प्रिजर्व करके रखा जाता है। इसके अलावा कम टेंपरेचर के लिए उन्हें बर्फ में रखा जाता है। अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर दीपक कुमार झा ने बताया कि सिर में चोट लगने के बाद कई बार ब्रेन काम करना बंद कर देता है।

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