जोधपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।
एक परिवार के पास निर्धारित विदेश यात्रा का टिकट, पासपोर्ट होने के बावजूद उन्हें यात्रा वंचित रखना लुफ्थांसा एयरलाइन को भारी पड़ा। राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर पीठ ने उपभोक्ता को विदेश यात्रा करने से रोकने को सेवा में कमी मानते हुए 10 लाख रुपए हर्जाना, मय ब्याज व टिकट की राशि देने के आदेश दिए हैं l
राज्य आयोग जोधपुर पीठ के न्यायिक सदस्य अतुल कुमार चटर्जी व सदस्य संजय टाक के समक्ष जोधपुर निवासी परिवादी डॉक्टर सुरेंद्र माथुर , नीना माथुर व सिद्धार्थ माथुर ने मुकदमा प्रस्तुत किया था। परिवादियों ने बताया कि उन्होंने विदेश यात्रा करने के लिए अमेरिका, मैक्सिको जाने का कार्यक्रम बनाया इसके लिए उनके पास वीजा पासपोर्ट व टिकट उपलब्ध थे l
डॉक्टर फैमिली ने जयपुर की ट्रैवल एजेंसी के जरिए टिकट बुक की जिसके लिए 2 लाख 85 हजार 505 रुपए दिए। वह निर्धारित तिथि पर मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचें जहां सिक्योरिटी चेक के बाद ऑनलाइन चेकिंग कर काउंटर बोर्डिंग पास दिए गए । बोर्डिंग पास जारी करने के बाद कार्यरत कर्मचारियों ने इंतजार करने को कहा काफी समय बीतने के बाद पता चला की नीना माथुर का पासपोर्ट का कवर फटा हुआ है इस पर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने विमान में बैठने की इजाजत नहीं दी और अन्य तीन यात्रियों को उनके स्थान पर यात्रा की अनुमति दे दी।
डॉक्टर ने बताया कि कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से पासपोर्ट क्षतिग्रस्त हुआ, यदि पासपोर्ट पहले से क्षतिग्रस्त होता तो बोर्डिंग, चेकिंग पोइंट तक पहुंच ही नहीं सकते थे। कर्मचारियों ने यात्रा रीशेड्यूल करने का आश्वासन दिया लेकिन , बाद में वह इससे भी इंकार कर दिया। टिकट को कैंसिल कर दिया ।
डॉक्टर सुरेंद्र माथुर को अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भी शामिल होना था, एयरलाइंस के इस तरह के व्यवहार के चलते वे वहां भी नहीं पहुंच सके, साथ ही टिकट की राशि भी वापस नहीं दी जिस पर उनके परिवार को मानसिक परेशानी उठानी पड़ी, जिस पर वह राज्य आयोग जोधपुर पीठ में 90 लाख 36 हजार रुपए का दावा प्रस्तुत किया गया।
लुफ्थांसा एयरलाइन कंपनी ने जवाब प्रस्तुत कर आपत्ति जताई कि आयोग को इस वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है।पासपोर्ट सही अवस्था में नहीं था इससे भी इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि पासपोर्ट नियम के अनुसार पासपोर्ट पूरी तरह पहचान नहीं होने की सीमा तक क्षतिग्रस्त था इसलिए नीना माथुर को प्लेन में यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई। इधर ट्रैवल एजेंट ने जवाब देते हुए कहा कि उसके कारण परिवादी की यात्रा रद्द नहीं हुई है।
आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि पासपोर्ट को केवल मात्र कवर फटे होने के कारण क्षतिग्रस्त नहीं माना जा सकता। आयोग ने माना कि एयरलाइन कंपनी की प्रतिनिधि के कारण पासपोर्ट की क्षतिग्रस्त हुआ था। सीआईएसएफ की ओर से भी प्रवेश के समय वीजा, टिकट व पासपोर्ट देखा गया था यदि उस समय पासपोर्ट फटा हुआ होता तो प्रवेश द्वार पर ही प्रवेश से रोक लिया जाता।
एयरलाइंस की ओर से पासपोर्ट संबंधी कोई जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की। बल्कि तीन अन्य यात्रियों को यात्रा पर जाने की इजाजत दे दी। आयोग का तर्क है कि संभवत तीन अन्य यात्रियों को यात्रा करवाने की दृष्टि से पासपोर्ट का कवर हटाया गया हो ऐसी स्थिति से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। विपक्षी एयरलाइन कंपनी ने दोबारा टिकट लेने पर रियायत में छूट देने का आश्वासन भी दिया परंतु बाद में इससे भी इंकार कर दिया।
आयोग के सदस्य न्यायिक अतुल कुमार चटर्जी व सदस्य संजय टाक ने सभी तथ्यों व परिस्थितियों को खंगालने के बाद परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए एयरलाइन कंपनी लुफ्थांसा की सेवा में कमी मानी और टिकट की राशि 2 लाख 85 हजार 505 मय ब्याज व 10 लाख रुपए मानसिक हर्जाने के व परिवाद पैठे 50 हजार रुपए दो माह में देने के आदेश दिए। अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से अधिवक्ता देवीलाल व्यास, विकास राठी, तथा विपक्ष की ओर से अधिवक्ता अजीत सिंह उपस्थित हुए ।