जोधपुर, राजस्थान पल्स न्यूज
आजादी के इतने सालों बाद भी राजस्थान आज भी बाल विवाह जैसा दंश झेल रहा है। भले ही सरकार ने बाल विवाह के विरुद्ध कड़ी नियम लागू कर रखे हो, लेकिन गांवों में आज भी यह प्रथा चली या रही है जिसका शिकार कई लड़के लड़किया हो रहे है। हाल ही में जोधपुर जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमे महज 4 महीने की उम्र में अनीता का बाल विवाह कर दिया गया था। जिसे कोर्ट ने 20 साल बाद अनिता को बाल विवाह की बेड़ियों में जकड़ी मुक्ति दे दी।
लड़की को ससुराल से मिली कई धमकिया
किसान की बेटी अनीता की शादी चार महीने की उम्र में ही कर दी गई थी। जब अनीता 15 साल की हुई तो उसके ससुराल वालों ने उसे ससुराल भेजने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान अनीता को कई तरह से तरह से धमकियां भी दी गईं. लेकिन अनीता, अपने बड़े भाई और बहन की मदद से ससुराल जाने से इनकार करती रही। इसी दौरान उसकी मुलाकात सार्थी ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी कृति भारती से हुई, जिन्होंने न सिर्फ कोर्ट के जरिए बाल विवाह को रद्द कराने में मदद की, बल्कि पहली बार बालिका वधु को वाद खर्च भी दिलवाया।
बालिका वधु को मिला मुकदमें का खर्च
राजस्थान की फैमिली कोर्ट ने अनीता के बाल विवाह को रद्द कर दिया। यह मामला बाल विवाहों को रद्द करने के पिछले मामलों से थोड़ा अलग था, क्योंकि कोर्ट ने उसके पति को आदेश दिया कि मुकदमेबाजी में अनीता ने जो पैसा खर्च किया है, वो उसे दे।
लड़का-लड़की को बाल विवाह रद्द करने का अधिकार
बाल विवाह न केवल एक बुराई है, बल्कि एक अपराध भी है। इससे बच्चों का भविष्य खराब होता है। अगर लड़का या लड़की बाल विवाह जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो उन्हें बाल विवाह रद्द करने का अधिकार है। बाल विवाह की बुराई को खत्म करने के लिए समाज स्तर पर महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।