जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।
जयपुर पुलिस ने अपहरण के एक मामले का पर्दाफाश करते हुए एक युवक को मुक्त करवा लिया है। मामले में लिप्त पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक महिला और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शामिल है। पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसेफ ने आज मीडिया को बताया कि बीते दिनों ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में नाहरगढ़ की पहाड़ी पर हुए अपहरण की वारदात पुलिस के लिए एक चुनौती थी।
ऐसी गंभीर वारदात के अपराधियों को पकड़कर उनके चंगुल से अपहृत युवक को मुक्त कराने के लिए नाहरगढ़ की पहाडियों में सर्च अभियान चलाया गया। इसके लिए घटना स्थल पर ड्रोन, एफएसएल टीम व आयुक्तालय की सीएसटी, डीएसटी, तकनीकी टीमें गठित कर तकनीकी रूप से सहायता करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम गठित की गई और जयपुर उत्तर के थानों की टीमों ने पहाड़ियों में ड्रेगन लाईट व अन्य साधनों से तलाश की गई।
मांगी 20 लाख रुपए की फिरौती
अपहरणकर्ताओं की ओर से फिरौती राशि के रूप में 20 लाख रुपए की मांग की गई थी। तकनीकी टीम के सहयोग से तत्काल हरिओम सिंह उ.नि. के नेतृत्व में टीम का गठन कर मथुरा की ओर रवाना किया गया। इस टीम ने अपहरणकर्ताओं और से की जा रही फिरोती राशि की मांग के कॉल्स के के आधार पर मथुरा, देहरादून, चंडीगढ, पंचकुला, चंडी मंदिर सहित स्थानों पर सघन तलाशी ली, साथ ही महत्वपूर्ण तकनीकी साक्ष्य जुटाने के हरसंभव प्रयास किए गए। इसी बीच अपहरणकर्ताओं की ओर से 22 अगस्त को आए कॉल के अनुसार अपहृत युवक की मां सेअपहरणकर्ता से बात की। इस दौरान फिरोती राशि मांग 20 लाख रुपये की। इसके बाद बनावटी फिरोती राशि के बैग का इंतजाम कर शिवरतन गोदारा एसीपी आमेर के नेतृत्व में मनीष शर्मा मय सीएसटी टीम, डीएसटी टीम पश्चिम और थाना ब्रह्मपुरी की टीम गठन कर चंडीगढ के लिए रवाना किया गया।
बदलते घटनाक्रम और अपहरणकर्ताओं के कॉल्स के अनुसार चंडीगढ में उप टीमों का गठन कर तैनातगी की गई। पुलिस के अनुसार 24-25 अगस्त की रात में युवक की मां ममता के पास अपहरणकर्ता के फोन से आए संदेश के अनुसार कालका-शिमला एक्सप्रेस ट्रेन के सबसे अंतिम डिब्बे में बैठने व कॉल अटेण्ड करने की हिदायत दी गई। इसके क्रम में उक्त ट्रेन के सेड्युल के अनुसार पुलिस ने अलग-अलग टीमों का गठन किया। कुछ जाप्ता ट्रेन में व अन्य अगले स्टेशनों एवं मौके की परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया गया। संदिग्ध स्थानों में भी तैनातगी की गई। सुबह करीब 3.45 पर कालका से शुरू होने वाली ट्रेन में अपहृत युवक अनुज की माता सहित पुलिस का जाप्ता इत्यादि रवाना किया गया। इसमें तकनीकी जानकारी के अनुसार महत्वपूर्ण स्थान धर्मपुर रेलवे स्टेशन के आस पास टीमों को मय जाप्ता विशेष हिदायत देकर तैनात किया गया था।
बैग को ट्रेन से बाहर फेंकने का दिया संदेश
पुलिस के अनुसार सफर के दौरान ही अपहरणकर्ताओं ने पुनः कॉल कर फिरौती राशि के बैग को ट्रेन से बाहर धर्मपुर रेलवे स्टेशन के आस-पास फैंकने के लिए कहा गया। इस पर समय 5.40 एएम पर धर्मपुर रेलवे स्टेशन पर तैनात टीम को एक संदिग्ध शख्स कुछ संदिग्ध हरकते करता हुआ दिखा। साथ ही वो वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल कर रहा था। इस दौरान पुलिस ने अपनी पहचान छिपाते हुए दुर्गम पहाड़ियों में उसका पीछा कर उसे दस्तयाब किया गया।
साथ ही प्रकरण में महत्वपूर्ण स्थान अपहृत युवक को बंधक बनाकर रखने के स्थान की पहचान करने के बाद टीम प्रभारी शिवरतन गोदारा को को इत्तला के आधार पर उनके निर्देशानुसार समस्त टीम ने उक्त फ्लेट पर पहुंच ऑपरेशन चेकमेट को पूराअंजाम दिया। इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी सॉफ़्टवेयर इंजीनियर वीरेन्द्र सिंह सहित 05 आरोपियों को मौके से ही गिरफ्तार किया गया और शेष 1 आरोपी के संबंध में महत्वपूर्ण सुराग मिले है। जल्द ही वो पुलिस की गिरफ्त में होगा। पकड़े गए आरोपियों में वीरेन्द्र सिंह जाट उम्र 40 साल निवासी डीग, हाल किरायेदार त्रिकुट भवन, सौलन, हिमाचल प्रदेश है। वहीं दूसरा डींग निवासी विनोद पुत्र भगवान सिंह जाट, अमित कुमार पुत्र पुरण सिंह जाट, अलवर निवासी जितेन्द्र भंडारी, सोलन, हिमाचल निवासी यमुना पुत्री मोतीलाल को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की जा रही है।
यूं दिया वारदात को अंजाम पुलिस के अनुसार मुख्य सरगना एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर है जो तकनीकी ज्ञान के साथ साथ पूर्व व्यवसायी भी रहा हुआ है। इसे व्यापार में आर्थिक नुकसान होने और तकनीकी संसाधनों से युक्त होने के कारण अपने पुराने परिचितों अमित कुमार व विनोद सिंह को साथ लेकर अपनी लिव-इन में रहने वाली संगिनी जमुना सरकार की मदद से अपहरण कर फिरौती राशि वसूलने और अपना घाटा पूरा करने की योजना बनाई थी। इसमें जितेन्द्र भण्डारी की मदद से उसके मित्र को भी शामिल किया गया। फिर 18 अगस्त को अभियुक्तों की मंडली जलमहल के पास जयपुर में दोपहर करीब 3 बजे एकत्रित हुई। नाहरगढ की ओर जाकर इस इलाके में उंचाई पर स्थित पहाड़ियो में चार सुने और दुर्गम स्थलों को चिन्हित किया गया था। पुलिस ने वाहन सहित नींद की गोलियां, पानी की बोतल, डकटिंग टैप, रस्सियां और अन्य धारदार हथियार, चाकू, पेचकस वॉकी टॉकी लेकर अंधेरे में आने वाले किसी भी सॉफ्ट टारगेट को चिन्हित होने पर किसी एक को अपहरण कर ले जाने की योजना बनाई गई थी। आपसी बात के लिए कोड भाषा का उपयोग किया गया गया।