Sunday, September 22

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज

पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पुराने आवंटन आदेशों का उपयोग कर फर्जी तरीके से रिकॉर्ड में अमलदरामद (जमाबंदी में नामान्तरण अपडेट करना) कर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया गया। इससे सरकार को हानि व निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया गया।

कानूनी लड़ाई लड़ने की बजाय राजस्व अधिकारी सरकार की ही जमीन को निजी खातेदारों के नाम कर रहे हैं। ऐसे ही कई मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने ऐसे अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए नई व्यवस्था की है। अब सरकारी जमीन या कस्टोडियन जमीन के मामले में किसी भी न्यायालय के आदेश की पालना से पहले जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी की इजाजत लेनी पड़ेगी। कमेटी तय करेगी कि मामले में कानूनी लड़ाई लड़ी जाए या आदेश की उसी स्तर पर पालना की जाए। यह आदेश राजस्व विभाग की ओर से जारी किए गए हैं।

अब कमेटी से लेगी होगी इजाजत
सरकारी जमीन से जुड़े मामलों पर निगरानी के लिए राज्य सरकार ने जिला स्तर पर राजकीय भूमि नामान्तरण परामर्श समिति (जीएलएमएसी) का गठन किया है। कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में अतिरिक्त जिला कलक्टर, उपविधि परामर्शी या संयुक्त विधि परामर्शी, प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख/उपखण्ड अधिकारी (मुख्यालय) भी होंगे।

यह भी तय किया गया है कि सरकारी भूमि से संबंधित नामान्तरण आवेदन को पटवारी जीएलएमएससी कमेटी में पेश करेंगे। कमेटी आवंटन आदेश (न्यायिक निर्णय) से संबंधित दस्तावेज का परीक्षण करेगी। इस आधार पर वह अपील या नो अपील का निर्णय करेगी। न्यायालय निर्णय पर सक्षम स्तर से अपील का निर्णय लिया गया है तो कमेटी नामान्तरण आवेदन को निरस्त करने की सिफारिश भी करेगी। राजस्व उपसचिव बिरदी चंद गंगवाल की ओर से जारी यह आदेश सभी जिला कलक्टर को भिजवाए गए हैं।

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