जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।
गहलोत सरकार में सामने आए फोन ट्रेपिंग का मामले की जांच आगे बढ़ रही है। राजस्थान में पायलट गुट की बगावत के समय विवादों में आए फोन टेंपिंग मामले में दिल्ली पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है। मामले में गहलोत के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा से क्राइम ब्रांच ने पांच घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार लोकेश शर्मा ने दिल्ली पुलिस को सबूत के तौर पर पैन ड्राइव, लैपटॉप और मोबाइल फोन सौंपे हैं। लोकेश शर्मा का कहना है कि पैन ड्राइव गहलोत ने दिया था। अब आगे पूछताछ गहलोत और उस वक्त के जिम्मेदार अफसरों से होनी चाहिए।
क्राइम ब्रांच और मीडिया से लोकेश शर्मा ने कहा है कि जब भी गहलोत उनके साथ बैठते थे, तो कहते थे- लोकेश, ‘तुम मेरी तरह लोगों को काम में लिया कर। इसका तब पता लगा जब वो खुद काम में आ गए।’ यह उनकी राजनीति का एक तरीका है। वो लोगों को काम में लेते हैं और फिर काम लेकर छोड़ देते हैं। मैं भी उस चक्रव्यूह में फंस गया और काम आ गया।
उन्होंने कहा- पायलट गुट के एमएलए के मानेसर जाने के बाद 16 जुलाई को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने एक पैन ड्राइव उन्हें देकर मीडिया में देने को कहा था। उस पैन ड्राइव के कंटेंट को लैपटॉप से मोबाइल में लेकर मीडिया को भेजा था। अब आगे की पूछताछ गहलोत और उन अफसरों से हो जो इसमें लिप्त थे।
गजेंद्र सिंह ने दर्ज करवाया था मामला
फोन टेपिंग मामले को लेकर गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मामला दर्ज कराया था। लोकेश शर्मा ने कहा पायलट गुट की बगावत के समय जुलाई 2020 में गहलोत गुट ने कुछ ऑडियो जारी किए थे, जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, मंत्री विश्वेंद्र सिंह, दिवंगत एमएलए भंवरलाल शर्मा की बातचीत का दावा किया गया था। गहलोत गुट ने बीजेपी पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया था। यह मामला विधानसभा और संसद में भी उठा। इसके बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने दिल्ली पुलिस में फोन टेपिंग करवाने को लेकर केस दर्ज करवाय। इस मामले में गहलोत के पूर्व ओएसडी ने ही अब उनके खिलाफ बयान देकर मामले का रुख मोड दिया है।
लोकेश शर्मा ने कहा है कि जुलाई 2020 में जब महसूस होने लगा कि सरकार जाने वाली थी, सचिन पायलट कुछ विधायकों के साथ मानेसर चले गए। ऐसे समय में वह ऑडियो क्लिप मुझसे रिलीज करवाया गया।