Wednesday, October 30

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़

अभी हाल में जारी हुई आईपीएस ट्रांसफर लिस्ट के बाद प्रदेश में सियासी पारा बढ़ गया है। इस लिस्ट में गहलोत सरकार के शासन में बनाए गए चार जिले केकड़ी, शाहपुरा, सांचौर और गंगापुर सिटी में एसपी नहीं लगाए गए हैं। उनकी जगह उनके मूल जिले के एसपी को ही कार्यभार सौंपा गया है। जिसके बाद सियासी और प्रशासनिक गलियारों में जमकर हलचल मची हुई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब भजनलाल सरकार इन जिलों को खत्म करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। आईपीएस के ट्रांसफर लिस्ट में इन जिलों में एसपी नहीं लगाए जाने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत सरकार के शासन में चुनावी वर्ष में 17 नए जिले बनाए गए थे। जिसको लेकर सियासत जमकर गरमाई हुई है। भजनलाल सरकार इन जिलों पर रिव्यू कमेटी से सर्वे करवाने के बाद अब अंतिम फैसला लेने की तैयारी में है। अभी हाल ही में सरकार ने एसपी की ट्रांसफर लिस्ट से सियासी पारा चढ़ा दिया है। अशोक गहलोत सरकार के शासन में बनाए गए केकड़ी, शाहपुरा, सांचौर और गंगापुर सिटी जिलों में एसपी की पोस्ट खाली रखी गई है, उनकी जगह उनके मूल जिलों के एसपी को ही कार्यभार सौंपा गया है।

भजनलाल सरकार ने हाल ही में 58 आईपीएस अधिकारियों को ट्रांसफर कर इधर से उधर किया है। जिसमें गहलोत शासन में बनाए गए चार जिले केकड़ी, शाहपुरा, सांचौर और गंगापुर सिटी जिले भी शामिल हैं। सरकार ने इन जिलों में नियुक्त एसपी को हटा दिया गया है, लेकिन उनकी जगह कोई दूसरा एसपी भी नहीं लगाया गया। सरकार ने इन जिलों का अतिरिक्त कार्यभार उनके मूल जिले के एसपी को सौंपे जाने के आदेश दिए हैं। इस दौरान अजमेर की नई एसपी वंदिता राणा को केकड़ी, जालौर एसपी ज्ञानचंद यादव को सांचौर, भीलवाड़ा एसपी धर्मेंद्रसिंह को शाहपुरा और सवाई माधोपुर एसपी ममता गुप्ता को गंगापुर सिटी एसपी का कार्यभार सौंपा गया है।

सूत्रों के मुताबिक भजनलाल सरकार ने जिलों की रिव्यू कमेटी के संयोजक पद से डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को हटा दिया गया है। इसको लेकर माना जा रहा है कि इन चार जिलों के साथ दूदू जिला भी समाप्त किया जा सकता है। उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर समेत नेताओं ने भी नए जिलों में केकड़ी, शाहपुरा जैसे नए बने जिलों पर आपत्ति जताई थी। यूडीएच मंत्री झाबरसिंह खर्रा ने भी कहा था कि 5 से 6 नए जिलों को समाप्त किया जा सकता है। ऐसे में आईपीएस ट्रांसफर लिस्ट ने इन कयासों को और ज्यादा मजबूती दे दी है।

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