Friday, November 22

जयपुर, Rajasthan Pulse News

मिलावटखोरी का खेल अभी भी जारी है। आज खाद्य पदार्थों में भारी मिलावट की जा रही है। मिलावटी वस्तुओं के सेवन से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। गंभीरत बीमारियां पनप रही है। मिलावटखोरी को लेकर हाई कोर्ट भी चिन्ता जता चुका है, साथ ही राज्य सरकार को भी मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए सख्ती करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के अनुसार खाने-पीने की मिलावटी वस्तुओं का सेवन करने से किडनी, ह्रदय और लीवर सहित अंगों पर प्रभाव पड़ता है। लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। मिलावटी और घटिया खाना समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है, इस दौर में कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। तो दूसरी ओर अधिक मुनाफा कमाने की होड में खाद्य पदार्थ विक्रेता लगातार मिलावट कर रहे हैं।

नाकाफी है खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006
हाईकोर्ट ने कहा राज्य सरकार से कहा है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 मिलावटखोरी रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि, यह कानून असंगठित क्षेत्र और हॉकर्स आदि पर लागू नहीं होता है। यह सिर्फ प्रोसेसिंग पर लागू होता है, नमूने जांच के लिए लैब भी कम हैं। तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं। कोर्ट ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक बिल तैयार भी किया, उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। नागरिकों के जीवन की रक्षा करना सरकार का दायित्व है। यह विषय समवर्ती सूची में होने के कारण केंद्र और राज्य सरकार प्रभावी कानून बनाकर मिलावट रोकने के लिए कदम उठाएं।

बिक रहे असुरक्षित गुणवत्ता के उत्पाद
कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार 20 प्रतिशत खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के बिक रहे हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार 70% दूध में पानी मिला होता है। दूध में डिटर्जेंट मिला होने के प्रमाण भी हैं।

खाद्य आपूर्ति मंत्रालय से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने मिलावट के मामले को लेकर सरकार से जवाब भी मांगा है। केंद्र सरकार के गृह, स्वास्थ्य, कृषि व खाद्य आपूर्ति मंत्रालय, खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण और राज्य के मुख्य सचिव, गृह, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों सहित अन्य को नोटिस जारी करके जवाब देने के लिए कहा गया है। साथ ही खाद्य पदार्थों के नियमित नमूने लेकर हर महीने के अंत में कोर्ट में जांच रिपोर्ट और मिलावट रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी।

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