Wednesday, October 30

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़

पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में आत्महत्या के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से किए जाने वाले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर दिन 14 आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। खुदकुशी के मामलों को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर वर्ष दस सितम्बर को ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) देश में हर वर्ष होने वाली आत्महत्याओं के आंकड़े जारी करता है। एनसीआरबी की ओर से पिछले वर्ष दिसंबर में अपनी सबसे ताजा रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष, 2022 में 1 लाख 70 हजार 924 लोगों ने आत्महत्याएं कीं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 22,746 लोगों ने आत्महत्या की थी। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु (19834) और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश (15386) था।

एनसीआरबी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान में वर्ष, 2022 में 5343 लोगों ने आत्महत्याएं की थीं। इस तरह राजस्थान में हर दिन 14 लोगों ने आत्महत्याएं की थीं। आत्महत्याओं के मामले में संख्या के हिसाब से राजस्थान का देश में 13वां स्थान था। प्रदेश में आत्महत्या की दर 6.6 प्रतिशत थी।

हालांकि, राजस्थान की स्थिति देश के ज्यादातर राज्यों से बेहतर थी। राजस्थान उन 12 राज्यों में से था जहां आत्महत्या के मामलों की संख्या में लगातार गिरावट आई थी। वर्ष, 2021 में राजस्थान में 5593, और इससे पहले वर्ष, 2020 में 5658 लोगों ने आत्महत्याएं की थीं। इसके विपरीत राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्या की कुल संख्या बढ़ गई थी।

लेकिन राजस्थान में पिछले कुछ सालों में हर वर्ष 5,000 से ज्यादा लोगों की आत्महत्या से मौत हो रही है। वर्ष 2020 में पहली बार आत्महत्या से हुई मौतों की संख्या 5,000 को पार कर गई थी।

आत्महत्या के मामलों में प्रदेश का कोटा शहर अक्सर सुर्खियों में रहता है। कोटा में छात्रों की आत्महत्या करने की समस्या एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुकी है।

गौरतलब यह भी है कि आज (10 सितंबर) को यानी विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है। विश्व स्वास्थ्य संगठन आत्महत्या रोकने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल यह दिवस मनाता है। पहली बार यह दिवस वर्ष, 2003 में आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य आत्महत्या के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना, इसे लेकर समाज में बदनामी की भावना को दूर करना और संगठनों, सरकारों और जनता में जागरूकता फैलाना है।

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