जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज
मानसून के बाद अब प्रदेश में एक बार फिर से डेंगू पैर पसारता नजर आने लगा है। पिछले 16 दिनों में प्रदेश में करीब पौने दो हजार से ज्यादा डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार 12 सितंबर ta प्रदेश में करीब ढाई हजार डेंगू के रोगी रिपोर्ट किए गए थे। जो 27 सितंबर तक बढ़कर 4 हजार 3 सौ तक पहुंच गए। यानी पिछले 16 दिनों में प्रदेश भर में 17 सौ नए मामले सामने आए हैं।
इतना ही नहीं दौसा और पाली जिले में तो एक-एक मौत डेंगू से होना सामने आया है। हैरानी की बात तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू से किसी भी मौत होना आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है।
डेंगू की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भजनलाल सरकार ने भी विभिन्न कदम उठाए हैं। सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और लोगों से अपील की जा रही है कि वे झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराएं। केवल प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही उपचार लें। अपने घर और आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ रखें। पानी जमा नहीं होने दें। इसके अलावा, मच्छर जनित रोगों की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा फॉगिंग और अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं, ताकि डेंगू के प्रसार को रोका जा सके।
विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू के परीक्षण के लिए 3 प्रकार की जांच की जाती है। इनमें रैपिड टेस्ट, एंटीजन ब्लड टेस्ट और एलाइजा टेस्ट शामिल हैं। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, अगर एंटीजन या रैपिड टेस्ट में मरीज पॉजिटिव आता है, तो एलाइजा टेस्ट कराना जरूरी होता है। रैपिड और एंटीजन टेस्ट के परिणामों की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट ज्यादा सटीक माना जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि मरीज को सही (Proper) उपचार मिले। इन सभी जांचों की रिपोर्ट राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसी) को भेजी जा रही है, ताकि डेंगू के प्रसार और उसके प्रबंधन की निगरानी की जा सके।
प्रदेश के जिलों में अभी तक इतने मामले डेंगू के सामने आ चुके हैं।
उदयपुर में 532 मामले सामने आए।
बीकानेर में 313 मामले सामने आए।
दौसा में 198 मामले सामने आए।
कोटा में 173 मामले सामने आए।
अलवर में 125 मामले सामने आए।
अजमेर में 114 मामले आए सामने।