Friday, November 22

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव आज सुबह जयपुर आए हैं। जहां बीजेपी नेताओं ने उनका एयरपोर्ट पर स्वागत किया। इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए रेल मंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि रेलवे की सुरक्षा के लिए कवच एक बहुत बड़ा विकास है। वहीं 16 जुलाई  को आरडीएसओ की ओर से कवच 4.0 संस्करण को अंतिम रूप दिया गया था। इसकी पहली स्थापना सवाई माधोपुर से पूरी हो चुकी है। कोटा और नागदा में, जयपुर-गांधीनगर स्टेशन पर पहला रूफ प्लाजा है। मंत्री ने कहा कि वो इसका भी जायजा लेंगे। 

आज यहां तक ट्रायल
कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली के तहत सवाईमाधोपुर से कोटा के बीच रेलवे ट्रैक को कवच लैस किया गया है, जिसका आज ट्रायल होगा। कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इस कवच 4.0 सुरक्षा प्रणाली का निरीक्षण रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव द्वारा किया जाएगा।  कवच 4.0 सुरक्षा प्रणाली का रेलवे अधिकारियों के साथ सवाई माधोपुर से सुमेरगंज मंडी तक रन कर ट्रॉयल लेंगे। रेल मंत्री इसके निरीक्षण के लिए सवाई माधोपुर से सुमेरगंज मंडी तक ट्रेन के लोको में सफर करेंगे।

देश का पहला रेलवे ट्रैक जहां कवच 4.0
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह से अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली है, जो रेल दुर्घटना की रोकथाम में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह रेलवे ट्रेक पर ट्रेनों का सुरक्षित तरीके से संचालन करेगा। यह प्रणाली देश में पहली बार सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 108 किलोमीटर की दूरी में स्थापित की गई है। इसका काम दो माह में पूरा करने के बाद आज शुरू कर दिया जाएगा। यह देश का पहला रेलवे ट्रैक है, जहां इसे लागू किया गया है।

तो लग जाएंगे ऑटोमैटिक ब्रेक
कवच 4.0 को लेकर रेलवे ने सवाई माधोपुर और कोटा के बीच 130 टावर स्थापित किए हैं। खास बात यह है कि गाड़ी स्पीड़ ज्यादा होने पर ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगी। रेलवे ने कवच 4.0 के तहत एक ऐसा स्वचालित सिस्टम तैयार किया है, जिसमें ट्रेन की निर्धारित स्पीड से दो किमी प्रतिघंटा से अधिक की स्पीड होने पर कवच ओवर स्पीड अलार्म बजाएगा। ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 5 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा होने पर ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। वहीं ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 9 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा होने पर पर इमरजेंसी ब्रेक लग जाएंगे। इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई हैं। इस ट्रैक पर 78 कवच भवन का निर्माण किया गया है। साथ ही 178 सिग्नलिंग इंटरफेस और एक एसपीएलएस नेटवर्क का निर्माण किया गया है।

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