Sunday, September 22

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज

बार-बार हुई पेपर लीक की घटनाओं से राजस्थान लोकसेवा आयोग की साख पर काफी सवाल उठे हैं। आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा और रामूराम राईका की गिरफ्तारी के बाद से तो आरपीएससी की कार्यप्रणाली ही संदेह के घेरे में आ गई है। पिछले कुछ समय से आरपीएससी में बदलाव की मांग उठने लगी है। भजनलाल सरकार अब इसमें बदलाव के प्रयास करने में लग गई है।

जानकारों के अनुसार गहलोत सरकार के शासन के दौरान तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने सबसे पहले आरपीएससी को भंग करने का मुद्दा उठाया था। बाद में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी आरपीएससी को भंग करने की बात कही थी। हालांकि प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार के नुमाइंदों ने वही तर्क दिया जो पूर्ववर्ती सरकार देती थी। यानी आरपीएससी एक संवैधानिक संस्था है। इसे भंग करना आसान नहीं है। अब हरियाणा लोकसेवा आयोग की तर्ज पर सदस्यों की संख्या बढाकर भजनलाल सरकार आरपीएससी में सुधार करने का प्रयास कर रही है।

आरपीएससी की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए भजनलाल सरकार हरियाणा लोकसेवा आयोग की तर्ज पर सुधार की कोशिश कर रही है। वर्ष, 2008 में हरियाणा की तत्कालीन सरकार ने हरियाणा लोकसेवा आयोग के सदस्यों की संख्या 8 से बढ़ाकर 12 कर दी थी। हालांकि वर्ष, 2012 में सदस्यों की संख्या घटाकर 6 कर दी गई थी और इसके तीन साल बाद फिर से सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 8 कर दी गई। भजनलाल सरकार ने पिछले महीने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को हरियाणा सरकार की ओर से किए गए सुधार के प्रयासों का अध्ययन करने का आग्रह किया था। देवनानी की ओर से किए गए अध्ययन के बाद रिपोर्ट भजनलाल सरकार को भेज दी गई है। ऐसे में अब भाजपा सरकार राजस्थान लोकसेवा आयोग में भी सदस्यों की संख्या बढाने सहित कुछ बड़े बदलाव करने जा रही है।
जानकारी मिली है कि अब भजनलाल सरकार आरपीएससी में बदलाव करने के लिए जल्द ही विधानसभा में विधेयक पेश कर सकती है। विधेयक के जरिए सरकार आरपीएससी की सेवा शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव रखेगी और फिर इस बिल के पारित होने के बाद आयोग में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। राजनीतिक सूत्रों के आरपीएससी में सदस्यों की संख्या बढाने के साथ सरकार चयन का आधार भी बदल सकती है। यानी राजनैतिक नियुक्तियां किए जाने के बजाय योग्यता तय कर सकती है।
सदस्यों की संख्या बढाकर सरकार मौजूदा सदस्यों को गोपनीय कार्यों से हटा सकती है। यानी मौजूदा सदस्यों को आरपीएससी के प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी देकर नए बनाए जाने वाले सदस्यों को गोपनीय कार्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

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