वर्ष, 2023 में हुए चुनाव में गठबंधन के तहत खींवसर और चौरासी विधानसभा सीट पर हुई थी भाजपा की हार
जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज़
प्रदेश में सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों से गठबंधन होना ना होना बीजेपी की जीत या हार की वजह बन सकता है। वर्ष, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आरएलपी और बीएपी के साथ गठबंधन किया था, जिसकी वजह से खींवसर और चौरासी सीट पर भाजपा जीत हासिल नहीं कर सकी थी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अगर अभी राजनीतिक समीकरण को देखा जाए तो तीन विधानसभा क्षेत्र (खींवसर, चौरासी और सलूंबर) ऐसे हैं, जहां कांग्रेस गठबंधन करती है तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है। अगर ये गठबंधन नहीं होता है तो भाजपा को फायदा मिल सकता है। शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन दाखिल 25 अक्टूबर तक होंगे।
विश्लेषकों के अनुसार सलूंबर विधानसभा क्षेत्र पर नजर डालें तो यहां उपचुनाव के लिए
बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से 3-3 प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर पार्टी आलाकमान को भेजा जा चुका है। ये वही सीट है जहां पिछले विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। उपचुनाव में इस सीट पर बीएपी ने भी जीत के अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। बीएपी ने भी 3 दावेदारों की लिस्ट तैयार की है लेकिन संभवतया कांग्रेस के साथ गठबंधन होने की उम्मीद में अभी तक प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की गई है। अगर ये गठबंधन नहीं होता है तो बीजेपी के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना कुछ आसान समझा जा सकता है।
इसी तरह चौरासी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करना
बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती जैसा है। डूंगरपुर की इस सीट से लगातार राजकुमार रोत जीतते रहें हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में वे सांसद बन गए हैं। जिससे ये सीट खाली हो गई। अब बीएपी इस सीट पर अपनी जीत सुनिश्चत मान रही है। ऐसे में अगर यहां कांग्रेस बीएपी के साथ गठबंधन कर लेती है तो बीजेपी को नुकसान होना भी निश्चित समझा जा रहा है और अगर गठबंधन नहीं होता है तो भाजपा को यहां फायदा हो सकता है।
नागौर जिले की खींवसर सीट आरएलपी सुप्रीमो
हनुमान बेनीवाल के सांसद बन जाने के बाद खाली हो गई। इस विधानसभा सीट पर आरएलपी का प्रभाव माना जाता है। आरएलपी के साथ इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है। अगर कांग्रेस और आरएलपी का गठबंधन हो जाता है तो भाजपा को नुकसान होना साफ नजर आता है। अगर गठबंधन नहीं होता है तो कांग्रेस भी यहां अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी। ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबला होगा और इस त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को फायदा हो सकता है।