– प्रदेश के “सोलर” में नंबर वन बनने के ऊर्जा मंत्री कर रहे दावे
बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज़
88 हजार मेगावाट के सोलर एनर्जी के प्रोजेक्ट अब भी प्रदेश की भजनलाल सरकार के पास आधरझूल में पड़े हैं। जमीन आवंटन के फेर की वजह से ये सोलर प्रोजेक्ट अटक गए हैं। दूसरी तरफ प्रदेश के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर दावे कर रहे हैं कि आने वाले समय में राजस्थान ‘सोलर एनर्जी’ में नंबर वन बनेगा। ऐसे में ऊर्जा मंत्री के दावे पर सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं कि आखिरकार कैसे राजस्थान सोलर एनर्जी में नंबर वन बनेगा।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने अभी हाल में दावा किया है कि आने वाले समय में प्रदेश सोलर एनर्जी में नंबर बनेगा। राज्य सरकार सोलर सेक्टर को बढ़ावा दे रही है। कोशिश की जा रही है कि राजस्थान सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ ही सोलर उपकरणों की असेंबलिंग और मैन्युफैक्चरिंग का भी हब बने। उनकी ओर से सोलर उपकरण निर्माण से जुड़े उद्यमियों से सुझाव भी मांगे गए। ऊर्जा मंत्री का सोलर उद्योग और उत्पादन को लेकर दावा उत्साह बढ़ाने वाला था। हालांकि सोलर प्रोजेक्ट्स के धरातल पर उतारने के मामले में प्रदेश सरकार की नाकामी भी किसी से छिपी हुई नहीं है।
जमीन आवंटन के चलते ही अटके हैं 88 हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि प्रदेश में 88 हजार मेगावाट के अक्षय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट जमीन आवंटन के फेर में अधरझूल में पड़े हैं। इन सोलर प्रोजेक्ट के लिए 1.97 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। लेकिन आवंटन लम्बे समय से सरकार के पास अटके हुए पड़े हैं। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले नॉन बिल्डिंग प्रोजेक्ट के लिए आवंटन नीति में प्रावधान नहीं होने और कई मामलों में खामियां का हवाला दिया जाता रहा। इनमें अडानी, ग्रीनको टोरेंट, जेएसडब्ल्यू रिन्यू पावर, ग्रीन टेक सहित कई कंपनियों के सोलर प्रोजेक्ट शामिल हैं। ज्यादातर कंपनियों ने कांग्रेस सरकार में आवेदन किया था। लेकिन मौजूदा सरकार भी इन्हें अभी तक सुलझा नहीं पाई है। इससे प्रदेश को सस्ती बिजली और बड़ा राजस्व नहीं मिल पा रहा है। यानी सरकार का और बिजली उपभोक्ता दोनों को ही नुकसान हो रहा है।