– 183 कस्बों के साथ 42 लाख की शहरी जनता होनी है लाभान्वित
जयपुर। Rajasthan Pulse News
केन्द्र सरकार की अमृत-2 योजना ठंडे बस्ते में गई दिखती है। तकरीबन तीस महीने बीत जाने के बाद भी डीपीआर नहीं बन सकी है। ऐसे में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की कार्य कुशलता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। बताया जा रहा है कि अब तीसरी बार इस योजना की डीपीआर बनाई जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बार-बार डीपीआर बनाने में समय व्यतीत किया जा रहा है। जबकि इस योजना के तहत वर्ष, 2025 तक शहरी क्षेत्रों में करीब साढ़े आठ लाख नए पेयजल कनेक्शन किए जाने हैं। जिससे शहरी क्षेत्रों में करीब 42 लाख की जनता लाभान्वित होगी। इतना ही नहीं इस योजना के लाभ 183 कस्बों तक भी पहुंचना है। इस योजना के जरिए शहरी क्षेत्रों में हर घर तक सौ प्रतिशत पानी की आपूर्ति होनी है। इसके बावजूद इस योजना की डीपीआर नहीं बन सक रही है।
ऐसे में पीएचईडी पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि उनकी पॉलिशी के पैरामीटर्स क्या हैं। अमृत-2 योजना की गाइडलाइन के मुताबिक डीपीआर बनाने में उनके अधिकारी फेल साबित क्यों हो रहे हैं। क्योंकि सबसे पहले रूडिस को, दूसरी बार पीएचईडी के फिल्ड इंजीनियर की सलाह के बाद डीपीआर में फेरबदल किया गया। अब विभाग स्तर पर फिर से योजना की डीपीआर बनाने का कार्य किया जा रहा है। इससे पहले अमृत-2 योजना में लापरवाही बरतने पर डीपीआर बनाने वाली कंपनी वेबकॉस को और विभाग के शहरी मुख्य अभियंता को नोटिस दिया गया था। इसके बाद भी विभाग और इस योजना से जुड़े अन्य अनुभागों, बाहरी स्त्रोंतों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अगर समय रहते इस योजना की डीपीआर नहीं तैयार हुई और विभाग व अन्य अनुभागों के साथ सरकार ने भी किसी प्रकार की कोताही बरती तो पांच हजार करोड़ रुपए की यह योजना लागू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी।