Tuesday, September 24

हिरोशिमा दिवस
6 अगस्त 1945, आज से 79 साल पहले जापान के इतिहास के पन्नों में काले अक्षरों से लिखा एक अध्याय , जिसे सिर्फ जापान ही नहीं बल्कि पूरा विश्व आज तक नहीं भूल पाया है हिरोशिमा दिवस इसीलिए मनाया जाता है ताकि हम अतीत की काली परछाइयों से सबक लेकर शांति को बढ़ावा दे सके 6 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका के एक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस (बमवर्षक विमान) एनोला गे ने जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु हमला किया, हिरोशिमा पर जिस बम को गिराया गया उसका नाम लिटिलबॉय था यह किसी भी युद्ध में प्रयोग किया जाने वाला आज तक का पहला और आखिरी परमाणु हमला है

परमाणु हमला क्यों?
1939 में शुरू हुआ द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने की कगार पर था लेकिन जापान के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे थे हालाँकि प्रथम विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने युद्ध से दुरी बनाये रखने का निर्णय लिया लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका के नौसेना बेस पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया यही एक कारण था कि अमेरिका भी अब जंग का हिस्सा बन गया अमेरिका और जापान के युद्ध में जापान के एक लाख और अमेरिका के 12,000 सैनिक मारे गए लेकिन जापान आत्मसमर्पण के लिए तैयार नही था अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की मृत्यु के पश्चात हैरी ट्रूमेन अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने और उन्होंने जापान को सबक सीखने के लिए इन परमाणु हमलो का विचार किया परमाणु हमले से पूर्व हैरी ट्रूमेन ने जापान को “Unconditional Surrender” की चेतावनी दी लेकिन जापान ने भी “Fight till Death ” कहते हुवे आत्मसमर्पण से इंकार कर दिया।

लिटिल बॉय परमाणु बॉम्ब (US government DOD and/or DOE photograph, Public domain, via Wikimedia Commons)

लिटिल बॉय का उपद्रव
2 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर गिराया जाने वाला परमाणु बम टीनियन आइलैंड पहुंच गया अब बस अमेरिकन कमांडर विशेष बमबारी मिशन के लिए मौसम के बदलने का इंतज़ार कर रहे थे चूंकि हिरोशिमा जापानी सेना का एक बेस था इसीलिए अमेरिका ने हिरोशिमा को अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाया , किसी भी अधिक आबादी वाले शहर को केंद्र बनाने से बम की विनाशकारी शक्ति अधिक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है

लक्ष्य के करीब पहुंचकर बी -29 एनोला गे 9450 मीटर की ऊंचाई पर जाकर हमले के लिए तैयार हुआ 8:15 मिनट पर बम छोड़ा गया और एनोला गे को ऐसे मोड़ पर रखा गया जिससे उम्मीद थी यह बम विस्फोट के दायरे से बाहर निकल जायेगा
लिटिल बॉय बम को 580 मीटर की ऊँचाई तक उतरने में 43 सेकंड लगे और यह शिमा अस्पताल के ऊपर जाकर फट गया 1 सेकंड के भीतर ही धरती का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच गया और पूरा दृश्य ही बदल गया एक विस्फोट के साथ ही आसमान में 40 ,000 फ़ीट तक मशरूम जैसे बादल दिखने लगे लगभग 3,50,000 की आबादी वाले शहर के 70,000 लोग तुरंत जलकर मर गए जो बच गए वे विकिरण बीमारी से और गंभीर जलन से पीड़ित हुए।

वर्ष के अंत तक मरने वालो की संख्या 1,00, 000 तक पहुंच गई शहर का दो तिहाई हिस्सा नष्ट हो गया। कुछ ही मिनटों में हिरोशिमा शहर का 80% हिस्सा वीरान हो गया। आसमान में काले धुंए के बादल दिखाई देने लगे। धुए और तापमान की वृद्धि से नमी बादलों में परिवर्तित हो गई और आसमान से काले पानी की बरसात होने लगी यह पानी ग्रीस जैसा था जिससे लोगो के शरीर में कई तरह का संक्रमण फैल गया। जिसने उस रोशनी को देखा उनकी आखो की रोशनी चली गई जिन कानो में बम की विस्फोटक ध्वनि पड़ी उनकी सुनने की शक्ति ख़त्म हो गई।

सार्जेंट बॉब केरेन, एनोला गे के चालक दल के एकमात्र सदस्य ने इस दृश्य को “नरक में झांकने जैसा” बताया। हिरोशिमा में 60% मौतें जलने के कारण हुई जबकि 30% मौतें गिरते उड़ते कांच के मलबे के कारण हुई, विकिरण से लगभग 10% मौतें हुई। हिरोशिमा शहर की 90,000 इमारते नष्ट हो गई या क्षतिग्रस्त हो गई। किसी भी आपदा के समय सेवा भार का कार्य अस्पताल कर्मियों द्वारा होता है किन्तु हिरोशिमा के 90% अस्पतालकर्मी मारे गए और अस्पतालो की इमारते भी नष्ट हो गई।
भौतिक विज्ञानी फिलिप मॉरिसन ने परमाणु बम के प्रभाव को अध्यन करने के लिए हिरोशिमा की यात्रा की और उन्होंने इस हमले के बारे टिप्पणी की कि “यह इतनी जल्दी और इतने बड़े क्षेत्र को पूरी तरह नष्ट कर देता है कि बचाव निराशाजनक है”।
हिरोशिमा नागासाकी हमले के 6 दिन बाद जापान ने बिना किसी शर्त के समर्पण करने की घोषणा कर दी और इसी के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध भी समाप्त हो गया।

तबाही के निशां
परमाणु हमलों के बाद रेडियो एक्टिव विकिरण के शिकार लोगो में कई बीमारियां देखने को मिली जिसमे ल्यूकेमिया (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) में सबसे गंभीर रूप से वृद्धि हुई गर्भ में विकिरण के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के अध्ययन से पता चला है कि विकिरण से संपर्क में आने से बच्चों का मानसिक विकलांग होना, शारीरिक विकास में कमी एवं सिर का आकर छोटा होना पाया गया। हालाँकि विकिरण के संपर्क में आने वाले जीवित लोगो से आने वाली पीढ़ी में कैंसर में वृद्धि कम पाई गई है।

सरकार की पहल
परमाणु हमलों से पीड़ित लोगो के लिए सरकार ने उम्र भर के लिए चिकित्सा सुविधा निशुल्क कर दी थी किन्तु काली बारिश के क्षेत्र से बाहर भी लोग संक्रमित हुए जो कोर्ट में 76 साल बाद भी अपनी लड़ाई लड़ रहे है कुछ समय पहले ही कोर्ट ने काली बारिश के चिन्हित क्षेत्र के बाहर भी प्रभावित हुवे लोगो को निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने का फैसला लिया है जिसमे 11 बीमारियों को चिन्हित किया गया है।

दुनिया का सबक
परमाणु बम की मार झेल चूका जापान आज अपनी तकनीक और मेहनत से विकसित देशों की श्रेणी में आता है किन्तु उसकी प्रतिज्ञा यही है कि वह देश में परमाणु हथियारों के उत्पादन की अनुमति नहीं देगा परमाणु तकनीक को वह केवल शांतिपूर्ण तरीके से ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल करता है। दुनिया के परमाणु हथियारों पर नज़र रखने वाली संस्था सिपरी (स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान) के अनुसार परमाणु हथियार बनाने की रफ़्तार हर साल तेजी से बढ़ रही है सिपरी के अनुसार 9 देश परमाणु शस्त्रों की रेस को बढ़ा रहे है जिसमे अमेरिका, रूस, ब्रिटैन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया है इन देशों के पास कुल 13,080 परमाणु बम है।

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