असल फैन्स अपने पसंदीदा अभिनेता के जीवन में आयी हर कामयाबी, हर उतार चढ़ाव के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते है, तो चलिए आज हम आपको ऐसी शख्शियत के बारे में बताने जा रहे है जिन्हे दुनिया भर के लोगो ने पसंद किया है। जो नायक भी है और खलनायक भी, जो हँसाते भी है और रुलाते भी है, जिन्हे आपने कॉमेडी में भी पसंद किया है ओर ट्रेजेडी में भी पसंद किया है ओर लोग इन्हे ओटीटी का बादशाह कहते है। जी हाँ हम बात कर रहे है लोकप्रिय अभिनेता पंकज त्रिपाठी की। जिनके जन्मदिन पर उनकी कुछ खास बातें हम आपसे साँझा करने जा रहे है।
अभिनेता बनने से पहले का जीवन
पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितम्बर 1974 में बिहार में एक किसान परिवार में हुआ। जहाँ अपने 5 भाई बहिनो में वो सबसे छोटे थे। गांव से स्कूली पढाई के बाद पंकज आगे की पढाई के लिए पटना चले गए। जहाँ नेतागिरी में उनकी रूचि बन गई और एक छात्र आंदोलन में भागीदारी के दौरान उन्हें 2 दिन के लिए जेल भी जाना पड़ा। पटना में रहते हुए एक दिन उन्हें किसी नाटक मंडली में नाटक देखने का अवसर मिले, नाटक देखते हुए वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अभिनय करने की ठान ली और कई नाटकों में अलग अलग किरदार निभाए। अभिनय की शुरुआत से पहले अपने खर्चों के पैसे खुद कमाने के लिए इन्होंने पटना जाकर एक होटल में बतौर किचन सुपरवाइजर का काम भी किया।
हंसी ठिठोली के रोचक किस्से
- बचपन से शरारती रहे पंकज त्रिपाठी अपनी साइकिल के पहिये पर सांप लपेटकर घूमते थे और अपने दोस्तों और गांव वालो को डराया करते थे।
- हॉस्टल में अपने सहपाठियों को भूत प्रेत आदि की आवाज निकालकर डराया करते थे।
- स्विमिंग सीखने के लिए जब भाइयों ने कहा कि नदी के पानी के कीड़ों को निगल लेने से स्विमिंग जल्दी सीख जाओगे तब उन्होंने 10-12 कीड़े पानी के साथ निगल लिए थे।
- होटल मे किचन सुपरवाइज़र का काम करते हुए उन्होंने मनोज वाजपेयी जी की चप्पल रख ली थी। हालांकि यह उन्होंने गुरु भक्ति मे किया क्योंकि पंकज त्रिपाठी मनोज वाजपेयी जी को अपना गुरु मानते थे। और निशानी के तौर पर उन्होंने अपने गुरु की खड़ाऊ रखी ओर उनका मानना था कि इसके बाद उनकी किस्मत चमक उठी।
- पंकज जी ने 10 वीं कक्षा में अपना सरनेम तिवारी से बदलकर त्रिपाठी रख लिया। जिसके पीछे उनका मानना था कि उनके ताऊ ओर चाचा अपना सरनेम त्रिपाठी लगाते थे ओर वो बड़े अधिकारी थे। जबकि उनके पिता जी कर्मकांडी ओर किसान थे ओर अपना सरनेम तिवारी लगाते थे इसलिए पंकज त्रिपाठी ने सरनेम बदलकर अपनी किस्मत बदलने का टोटका आजमाया।
फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत और ऊँचाइया
पंकज त्रिपाठी ने दिल्ली आकर “नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा” में एक्टिंग सीखने की शुरुआत की ओर 2004 में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। इसी वर्ष उन्हें “रन” फिल्म में एक छोटा सा किरदार मिला। इसके बाद उन्होंने कई छोटे बड़े किरदार निभाए। अनुराग कश्यप की फिल्म “गैंग ऑफ़ वासेपुर” इनके कॅरियर का टर्निंग पॉइंट रहा और सुल्तान की भूमिका ने दर्शको का दिल जीत लिया। इसके बाद उन्होंने फुकरे, मांझी: द माउंटेन मैन, नील बटे सन्नाटा, न्यूटन, बरेली की बर्फी, स्त्री आदि मूवी में काम किया। “मिमी” मूवी में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर की वजह से पंकज त्रिपाठी को नेशनल अवार्ड भी दिया जा चुका है। “मैं अटल हूँ ” फिल्म में पंकज त्रिपाठी की अटल बिहारी वाजपेयी की यादगार भूमिका दर्शको के मानस पटल पर हमेशा अंकित रहेगी।
2018 में आई वेबसरीज Sacred Game, Mirzapur में कालीन भैया का रोल किया इस रोल से रातों रात पंकज त्रिपाठी वायरल हो गए और इससे हमे पता चलता है कि कैसे एक गांव का लड़का इतना बड़ा स्टार बन चुका है। जिसकी एक्टिंग की पूरी दुनिया दीवानी है। मिर्ज़ापुर में उन्होंने ट्रेडिशनल खलनायक की छवि ही बदल डाली, जिसमे विलेन चिल्लाता है, डराता है , लेकिन उन्होंने पूरी सीरीज में विलेन का रोल बड़ी गंभीरता से निभाया है।
आने वाली फिल्मे और वेब सीरीज
2024 में “मैं अटल हूँ, “मर्डर मुबारक'”,और “स्त्री 2, की अपार सफलता के बाद तमिल फिल्म ठग का जीवन, बॉलीवुड फिल्म “अभी तो पार्टी शुरू हुई है” और “मेट्रो इन दिनों “,”राम जन्मभूमि “,”बेबी जॉन”, अंडर प्रोडक्शन है इनमे से कुछ फिल्मो की रिलीज डेट 2024-25 रहेगी।