बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज।
आज शरद पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा आसमान से अमृतमयी रोशनी बरसाएगा। तब दुनिया के पालनहार श्रीकृष्ण “महारास” के लिए अवतरित होंगे। इस भक्तिमय रास की सरिता में आस्थावान लोग डूबकी लगाएंगे। यह दृश्य बीकानेर के बिन्नाणी चौक के समीप स्थित रघुनाथजी मंदिर में आज मध्य रात्रि को साकार होगा। सैकड़ों साल पुरानी परम्परा का निर्वाह किया जाएगा। मंदिर के आगे चौक में मंच तैयार कर उस पर बालू मिट्टी डाली गई। इसके बाद चांदनी रात में यह महारास होगी। आज भी श्रद्धालु सुबह महारास की पूर्णाहुति के बाद रास के अखाडे से बालू मिट्टी अपने घर ले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आस्थावान लोग इस मिट्टी को ठाकुरजी के चरणों की रज मानते है।
सैकड़ों साल पुरानी परम्परा
रासलीला आयोजन से जुड़े विष्णु व्यास का दावा है कि रघुनाथजी मंदिर में यह महारास का मंचन 365 साल से हो रहा है। उन्होंने बताया कि कोराना काल में भी पूरी विधि विधान से महारास का मंचन किया गया था। इसके लिए तात्कालीन जिला कलेक्टर से बाकायदा लिखित में इसकी सहमति ली गई थी। उस दौरान प्रशासन ने पूरी गाइड लाइन के साथ ही मंचन करने की अनुमति प्रदान की थी। विष्णु व्यास बताते है कि यह रघुनाथ मंदिर अपने आप में खास है। इसकी विशेषता है कि यहां पर राम-सीता-जामवंत के साथ ही कृष्ण की प्रतिमा भी है। तभी तो रघुनाथ के मंदिर में “कृष्ण” लीला होती है। महारास पर शरद पूर्णिमा की रात को खीर और बडक का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालुओं में वतरित किया जाएगा।
आस्था जुड़ी है
रासलीला आयोजन से जुड़े संतोष व्यास ने “राजस्थान पल्स” को बताया कि महारास का मंचन अनवरत चला आ रहा है। इससे लोगों की आस्था जुड़ी हैं। रियासतकालीन समय में तो इस महारास में महिलाएं भी ठाकुरजी के आगे नृत्य करती थी, रास में भागीदारी निभाती थी। अब रास में महिला पात्रों की भूमिका भी पुरुष ही निभाते हैं। संतोष बताते है कि महारास को लेकर बुजुर्गों, महिलाओं के साथ आज की युवा पीढ़ी में भी जबर्दस्त उत्साह है। वर्तमान में रास में युवा जोश और उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
चार चरण में होगी पूरी
संतोष कुमार ने बताया कि महारास आज मध्य रात्रि को शुरू होगी, जो कल सुबह तक जारी रहेगी। इससे पूर्व भगवान श्रीकृष्ण जिस मुकुट को धारण करेंगे, उसकी पूजा-अर्चना की जाएगी। इस मुकुट की प्राण प्रतिष्ठा हो रखी है। मंदिर में आरती होगी। इसके बाद महारास के अखाड़े में पात्रों का पर्दापण होगा। इसमें चार चरण होंगे। इसमें बंशी लीला, माखन लीला, महादेव और राजा बली लीला का सजीव मंचन होगा। गीत-संगीत से सजी महारास को देखने के लिए आज भी दूर दराज से आस्थावान लोग बिन्नाणी चौक में एकत्रित होते हैं। महारास में कृष्ण, बलराम, नंदी, महादेव, दीवान, छड़ीदार, , राजा बली, शुक्राचार्य सहित पात्र होंगे। यह पात्र संवादों के माध्यम से महारास की लीला का मंचन करेंगे। कृष्ण का वामन अवतार भी इसमें देखने को मिलेगा, जो राजा बली से वरादान मांगने आते हैं।
गणेश चतुर्थी को शुरू हुआ पूर्वाभ्यास
महारास का पूर्वाभ्यास गणेश चतुर्थी को शुरू हो गया था। इसमें पात्र बनने वाले कलाकारों के साथ ही गीत-संगीत के संगतकार संवादों, भजनों का पूर्वाभ्यास करते हैं। वहीं 14 अक्टूबर की रात को महारास का महाभ्यास हुआ। आयोजन को लेकर तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। मंदिर परिसर सहित पूरी गली को रंगीन रोशनियों से सजाया गया है।