Saturday, September 21

जयपुर, राजस्थान पल्स न्यूज।

प्रदेशभर में बीते दस दिनों से सफाई कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। ऐसे में हर शहर की गली-मोहल्ले कचरे से अट गए हैं। नाले-नालियां उफान मार रही है। दूषित वातावरण से शहर सड़ांध मार रहे हैं। सफाई कर्मचारी अपनी मांगों पर अडिग है, तो सरकार भी अब सख्त रवैया अपनाने की तैयारी में है।

बताया जा रहा है कि स्वायत्त शासन विभाग सफाई कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से एक बार फिर बातचीत करेगा। अगर इसमें किस तरह का समाधान नहीं निकला तो जल्द ही सफाई कर्मचारी के खिलाफ “काम नहीं तो वेतन नहीं” और राज्य कार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज करवाने की तैयारी कर रहा है। राजस्थान में करीब 24 हजारों पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर सफाई कर्मचारी 23 जुलाई को हड़ताल चले गए थे। इसके बाद राजधानी सहित प्रदेशभर में वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। इससे शहरों की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है।

दूसरी और  प्रदेश के बिगड़ते हालात को देख स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों ने सफाई कर्मचारियों से बातचीत कर समझाईश की कोशिश की। लेकिन संयुक्त वाल्मीकि और सफाई श्रमिक संघ की मांगों पर सहमति नहीं बन सकी है। इसके बाद अब स्वायत्त शासन विभाग की ओर से हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

काम नहीं तो वेतन नहीं
अब हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ काम नहीं तो वेतन नहीं के साथ ही राज्य कार्य में बाधा का मुकदमा भी दर्ज करवाया जा सकता है। हालांकि सरकार की मंशा इससे पहले एक बार फिर से  कर्मचारियों के साथ बातचीत का प्रयास किया जाएगा। लेकिन अगर इसके बाद भी कर्मचारी नहीं माने, तो सरकार सख्त रवैया अपनाएगी। सफाई कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भर्ती प्रकरण को लेकर अपनी बात सीएम तक पहुंचाई है। साथ ही चेताया है कि जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा। हमारी हड़ताल जारी रहेगी।

बीकानेर में बदतर स्थिति
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बीकानेर में हालात बदतर हो गए है। गली-गली में कचरे के ढेर लग गए है। नालियां जाम पड़ी है। शहर के हदृय स्थल कोटगेट से केईएम रोड तक दिनभर नालियों का दूषित पानी मुख्य सड़क पर पसरा रहता है। जस्सूसर गेट के अंदर और बाहर भी सीवरेज और नालियों का दूषित पानी मुख्य मार्ग पर फैला है। जगह-जगह कचरे और गंदगी का ढेर लग गया है। रात के समय हालात ऐसे है कि राहगीरों को निकलना भी दुभर हो जाता है। सफाई कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से हर समय वातावरण दूषित है। बारिश के बाद और भी हालात खराब हो गए है। संकरी गलियों में तो सांस लेना भी दुभर हो रहा है, ऐसे में बीमारियां फैलने की आशंका भी बनी हुई है।

यह है मुख्य मांगे

  • मस्टरोल के आधार पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाए।
  • एक साल तक पहले कर्मचारी से काम करवाया जाए, उसके बाद नियुक्ति दी जाए।
  • वाल्मीकि समाज के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाए।
  • पूर्व की जिन भर्तियों में मामला न्यायालय में विचाराधीन है, या जिन पर निर्णय हो चुका है। उनमें नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएं।
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