Sunday, September 22

सीकर, बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज़

रोडवेज की स्थिति बदतर है। सरकार से समय पर रोडवेज को अनुदान नहीं मिलता। इसका खमियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। समय पर पेंशन, वेतन नहीं बनते। इससे रोष बढ़ता जा रहा है। बीकानेर आगार में 22 माह बीतने के बाद भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को परिलाभ नहीं मिले। वहीं दूसरी ओर लंबित मांगों का निस्तारण नहीं होने के कारण सीकर के रोडवेज कार्मिकों को धरने पर उतरना पड़ा। सीकर में कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। राजस्थान रोडवेज वर्कर्स यूनियन (सीटू) और सेवानिवृत कर्मचारी कल्याण समिति के बैनर तले कर्मचारियों ने व्यवस्थाओं को लेकर रोडवेज प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही लंबित मांगे पूरी नहीं होने तक धरना जारी रखने की चेतावनी दी है।

बदतर है हालात
सीटू के प्रदेश महासचिव श्योदानाराम ने रोष जाहिर करते हुए कहा है कि राजस्थान सरकार की जीवन रेखा मानी जाने वाली राजस्थान रोडवेज की हालत लगातार खराब होती जा रही है। अपनी लंबित मांगों को लेकर कर्मचारी बीते लंबे समय से बार-बार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार की आंख नहीं खुल रही है।

इन मांगो को लेकर खफा
रोडवेज कर्मचारी अपनी कई मांगों को लेकर खफा है। इसमें प्रमुख रूप से वरिष्ठता के हिसाब से कर्मचारियों की डिपो में ड्यूटी लगाना। हर महीने की 1 तारीख को कर्मचारियों को वेतन भत्तों का भुगतान करने, रोडवेज बसों की कमी को दूर करने के लिए करीब 2 हजार नई बसों की खरीद करना, सरकार की ओर से कम से कम 5 हजार नए पदों की भर्ती निकालकर नए कर्मचारियों को भर्ती करना, रोडवेज डिपो में ठेका प्रथा व अनुबंध पर बसें लेने की प्रक्रिया को समाप्त करना सहित कई मांगे हैं, जिनकों लेकर कर्मचारी आंदोलनरत है।

बीकानेर में 20 को करेंगे निर्णय
प्रदेश के अन्य जिलों की तरह ही बीकानेर में भी रोडवेज की भी स्थिति बदतर है। यहां भी समय पर वेतन और पेंशन नहीं मिलने से कार्मिकों में मायुसी है। इसको लेकर 20 जुलाई को कार्यकारिणी की बैठक प्रस्तावित है। उसके बाद आगामी रणनीति निर्धारित की जाएगी। वहीं सेवानिवृत कर्मचारियों में रोष है। श्रमिक नेता और सेवानिवृत कर्मचारी ऐसोशिएशन के संयोजक गिरधारी लाल ने रोष जताते हुए कहा कि नेता घोषणाएं करते हैं, सरकार बदल गई फिर भी रोडवेज की स्थित में कोई खास सुधार नहीं है। गिरधारी लाल के अनुसार बीते 22 माह में जो भी कर्मचारी सेनावृति हुआ था, उसे आज तक परिलाभ नहीं मिला। ना ही सरकार के पास कोई मास्टर प्लान है। बात महज परिलाभ की ही नहीं है, यहां समय पर पेंशन और वेतन भी नहीं मिल रहा है। इस मुद्दे को जनप्रतिनिधियों को विधानसभा में रखना चाहिए।

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