बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज।
महानगर हो या छोटे शहरों के नुक्कड़ गलियारे गणेश चतुर्थी का उत्साह चारो और है हर कोई गणपति बप्पा के गृह प्रवेश की तैयारी में लगा है त्यौहारों के इस उत्साह में पर्यावरण शुद्ध रहे इसके लिए हर स्तर पर प्रयास होते रहते है प्रदूषण रहित माहौल बनाने के लिए पर्व-उत्सवों पर विशेष काम हो सकता है। गणेश चतुर्थी से गणपति जी घर घर विराजेंगे और अनंत चतुर्दशी के दिन उनका जल मे विसर्जन होगा ऐसे में जल प्रदूषण की आशंका प्रबल रहती है इस गणेश चतुर्थी पर पर्यावरण ओर प्रकृति का विशेष ध्यान रखते हुए अपने घर लाए गोबर से निर्मित गणपति। जो शत प्रतिशत शुद्ध है। इससे वातावरण में किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता। पानी में विसर्जन करने के बाद गोबर को खाद के रूप में उपयोग भी किया जा सकता है। गौरतलब है गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में हर साइज की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है।
बीकानेर में यहां तैयार है गोबर के गणेश
बीकानेर में बेनीसर बारी के बाहर गोधन मित्र संस्थान आमजन के लिए इस गणेश चतुर्थी को खास तौर पर देशी गाय के गोबर से निर्मित शत प्रतिशत शुद्ध गणेश तैयार किए हैं। यहां पर अलग-अलग साइज की गणेश जी की प्रतिमाएं उपलब्ध है। इनको घर में ही बड़े पात्र में पानी डालकर विसर्जन किया जा सकता है।
सूखकर तैयार होने में लगते है दो से तीन दिन
गोधन मित्र संस्थान के महेन्द्र जोशी ने बातचीत में बताया कि पर्यावरण की शुद्धि के लिए उनके यहां पर गाय के गोबर से निर्मित आइटम बनाए जा रहे हैं। यह पूर्ण रूप से शुद्ध है, किसी तरह का केमिकल्स, आर्टिफिशियल चीज इसमें नहीं डालते। इसमें तीन से चार इंच की प्रतिमा को तैयार करने में 15-20 मिनिट लगता है, लेकिन उनको धूप में सूखाकर तैयार करने में तीन से चार दिन लग जाता है। इनमें गोबर और उसके साथ यदि कुछ औषधियां ही मिलाई जाती है। बीते दो साल से गोबर गणेश की डिमांड बढ़ रही है।
महानगरों में किए जा रहे है पसंद
गोधन मित्र के महेन्द्र जोशी ने बताया कि गोबर से तैयार गणेश जी दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चैन्नई, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर सहित महानगरों में गोबर से बने गणेश जी की मांग है। उन्होंने बताया कि छोटे और बड़े सभी साइज के गणेश जी तैयार किए जा रहे है। जोशी के अनुसार संस्था गायों के गोबर से कई तरह के आइटम बना रही है। ताकि वातावरण प्रदूषित नहीं हो।