बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज।
“हाथों में पूजा की थाली, आई रात सुहागों वाली।ओ चांद को देखूं हाथ मैं जोडूं, करवा चौथ का व्रत मैं तोडूं,तेरे हाथ से पी कर पानी...फिल्मी गीत की यह पंक्तियां रविवार रात को साकार उठी। अवसर था करवा चौथ पर्व का। अपने सुहाग की दीर्घायु, परिवार में खुशहाली के लिए महिलाओं ने दिनभर उपवास रखा। शाम ढलने के बाद निर्जल रही। रात करीब साढ़े आठ बजे जब आसमान में चंद्रमा के दर्शन हुए, तब सभी के चेहरे खुशी से चमक उठे। सुहागिनों ने चंद्रमा को पानी से अर्घ्य दिया। चांद की पूजा की। परम्परा के अनुसार छलनी से पति का चेहरा देखा। फिर अपने पति के हाथ से जल ग्रहण किया। इसके बाद अपने उपवास का पारना किया। इससे पूर्व महिलाओं ने सामूहिक रूप से चौथमाता की कथा सुनाई।
बहिन-बेटियों के भेजे पकवान
करवा चौथ पर बहिन-बेटियों के यहां पर पकवान भेजन की परम्परा निभाई। साथ मैदा से निर्मित खाजे(करवा) कहीं पर चीनी के कवरे भेजे गए। करवा चौथ पर घरों में कई तरह के पकवान बनाए गए। त्योहार को लेकर शहर में दिनभर रौनक रही।
चौथ माता मंदिर में किया पूजन
गोगागेट स्थित चौथ माता मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाओं ने विधि विधान से चौथ माता की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर मंदिर में श्रद्धालु महिलाओं का तांता लगा रहा। पुजारी ने चौथ माता की प्रतिमा का शृंगार किया। महा आरती हुई। यहां ऐसी मान्यता है कि माता को धागा बांधने पर मनवांछित फल प्राप्त होता है। मां करवा चौथ माता सुहागन महिलाओं को अखंड सुहाग प्रदान करती है। पंडित राजेश भादाणी ने बताया कि करवा चौथ माता का भव्य श्रृंगार किया गया। कथावाचक पंडित गिरिराज जोशी, पंडित भैरू भादाणी, बटुक भादाणी, राहुल जोशी, देवेश जोशी आदि ने भगीदारी निभाई। वहीं लक्ष्मीनाथजी मंदिर के बाहर भूतेश्वर महादेव मंदिर के आगे ही परम्परा अनुसार महिलाओं ने चौथ माता की तस्वीर रखकर पूजा-अर्चना की। कहानी-कथा की परिवार की समृद्धि और अखंड सुहाग की कामना की।
फोटो : राजेश छंगाणी/ एसएन जोशी