बीकानेर, राजस्थान पल्स न्यूज़
भगवान श्री राम का नाम आने के साथ ही रामायण का भी ख्याल दिमाग में जरूर आता है। रामायण के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन दर्शन को समझा जा सकता है। ऐसे में राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कलाविद् जैसे कई महत्वपूर्ण पुरस्कर प्राप्त कर चुके बीकानेर निवासी लघुचित्र शैली (Miniature Painting) के चित्रकार महावीर स्वामी भी अब बीकानेर शैली में रामायण के चित्रों की एक श्रृंखला तैयार करने में जुटे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक चित्रकार बीकानेर चित्रकला शैली में रामायण के सभी कांड को उकेर रहा है।
बीकानेर की चित्र शैली
बीकानेर चित्र शैली भारतीय चित्रकला की एक राजस्थानी शैली है जो बीकानेर शहर में विकसित हुई। यह राजपूत चित्रकला की कई शैलियों में से एक है, जिसका विकास 17वीं शताब्दी के अंत में शाही मुगल कार्यशालाओं के बंद हो जाने के बाद बिखर गए कलाकारों की मदद से हुई। समसामयिक कलाकारों के चित्रों के विषय या तो दरबारी थे, या हिंदू ग्रंथों से प्रभावित थे। इन चित्रों में राजपूत शैलियों की तुलना में मुगल शैली का प्रभाव अधिक दिखता है और इसमें दक्कन शैली के कुछ तत्व भी दृष्टिगोचर होते है।
बीकानेर शाही चित्रशाला में चित्रित विषय अक्सर भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरित थे जिसमें बारीक रेखाएँ और रंगों का अधिक संयमित क्रम दिखता है जो मुगल कला से प्रभावित था, इनमें रागमाला, भागवत पुराण और रासलीला के दृश्य महत्वपूर्ण थे।
बीकानेर चित्र शैली के विशिष्ट तकनीकी गुणों के साथ एक चित्रकार की विलक्षण कला प्रतिभा का संयोजन यदि किसी कला प्रेमी को साक्षात करना है तो उन्हें महावीर स्वामी के चित्रों को देखना होगा विशेषरूप से रामायण पर बने चित्रों की श्रृंखला।
कैसे मिली प्रेरणा
चित्रकार स्वामी ने बताया कि कोरोनाकाल में जब लॉकडाउन हो गया था, तब उन्होंने खाली समय में रामायण के ग्रंथ का अध्ययन किया और विचार किया कि क्यों न इसपर एक चित्र श्रृंखला बनाई जाए और उन्होंने रामायण के महत्वपूर्ण प्रसंगों को अपनी कूची से उकेरना शुरू कर दिया। तब से अब तक उन्होंने 60 से अधिक चित्रों का रेखांकन कर 36 चित्रों का निर्माण कर चुके हैं। रामायण पर आधारित इस चित्र श्रृंखला में चित्रकार 108 चित्रों का निर्माण करेंगे जिसमें कुछ बड़े तो कुछ छोटे माप के चित्र होंगे, हालांकि यह श्रृंखला वाल्मीकि रामायण से प्रभावित है पर महावीर स्वामी भारत में लिखी अन्य रामायण का भी अध्ययन कर नये प्रसंगों को जोड़ेंगे। लघुचित्रकार महावीर का मानना है कि इस चित्र श्रृंखला को पूर्ण करने में अभी 2 से 3 साल का समय और लग जाएगा।
महावीर स्वामी की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर तक है, इनके बनाए चित्र विश्वभर में खरीदे जाते है और कुछ संग्रहालयों ने इनके चित्रों का स्थाई संग्रहण व प्रदर्शन भी किया है, साथ ही अनेकों देशों से कलाकार इनसे पारंपरिक कला शैली का प्रशिक्षण लेते रहे हैं।
प्रतिभा के धनी महावीर स्वामी की इच्छा है की उनकी रामायण पर बन रही चित्र श्रृंखला को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर परिसर की कला दीर्घा में स्थान मिले ताकि ज्यादा से ज्यादा रामायण और उसमें निहित प्रसंगों को देख व समझ सके।
महावीर स्वामी ने रामायण के साथ हनुमान चालीसा पर भी चित्रों की एक श्रृंखला को बनाना शुरू कर दिया है। यह श्रृंखला भी पौराणिक विषय पर आधारित है और तकनीकी रूप से पारंपरिक होते हुए भी सामयिक प्रतीत होती है क्योंकि यह चित्रकार की मौलिक रचना होगी।