अजमेर, राजस्थान पल्स न्यूज।
अजमेर में थानेदारों से मंथली वसूली के मामले में नामदज सभी लोग आज बरी हो हो गए है। इसमें तात्कालीन एसपी राजेश मीणा, एएसपी लोकेश सोनवाल सहित सीआई, एसआई आदि को एसीबी ने आरोपी बना रखा था। प्रकरण वर्ष 2013 का था। अजमेर भ्रष्टाचार निरोधक की डेजिग्नेटेड कोर्ट ने मामले में आज अपना निर्णय सुनाया है। इसके बाद वकील ने इसे एसीबी का प्री-प्लान क्राइम बताया। वहीं तत्कालीन एसपी राजेश मीणा ने कहा कि ये गलत तथ्य के आधार पर बनाया गया मामला था।
वर्ष 2013 का प्रकरण
जानकारी के अनुसार मामला 2 जनवरी 2013 का बताया जा रहा है, इसमें एसीबी ने तत्कालीन एसपी राजेश मीणा और दलाल जोधपुर निवासी रामदेव ठठेरा को दो लाख पांच हजार रुपए के साथ गिरफ्तार किया था। एसीबी ने जांच के बाद आरोप-पत्र पेश किया था, इसमें तत्कालीन एएसपी लोकेश सोनवाल, तत्कालीन सीआई प्रमोद स्वामी, खान मोहम्मद, संजय शर्मा, अशोक विश्नोई, रविंद्र यादव, हनुमान सिंह राठौड़, जयपाल सिंह, सुनील विश्नोई, खुशाल चौरड़िया, गोपाल लाल, बंशीलाल और हेमंत जैन को भी आरोपी माना था। मामले में बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी होने के बाद निर्णय के लिए 30 जुलाई की तारीख तय थी। वहीं अभियोजन की ओर से प्रस्तुत एक अर्जी पर सोमवार को ही सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने आज निर्णय सुनाते हुए सभी15 आरोपियों को बरी कर दिया है। अभियोजन पक्ष की ओर से 90 गवाह और 330 दस्तावेज पेश किए गए।
सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं।
मामले में बरी होने के बाद तत्कालीन अजमेर एसपी आईपीएस राजेश मीणा ने कहा- गलत तथ्य के आधार पर मामला दर्ज किया गया था। यह बनावटी, मिथ्या और साक्ष्य विहीन था। शुरू से ही न्यायपालिका पर विश्वास था कि मामला पूरी तरह से साफ हो जाएगा, आज आखिरकार वही हुआ लेकिन इस लंबी अवधि में जो मानसिक पीड़ा झेली है, उसे बताया नहीं जा सकता। मगर यह तय हो गया है कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं।